कर्नाटक चुनाव 2023: कट्टर मुस्लिम महिला की छवि वाली कनजीज फातिमा फिर चुनी गईं , सदन में होंगे 9 मुसलमान प्रतिनिधि

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 14-05-2023
कर्नाटक चुनाव 2023: सीएए और हिजाब विरोधी आंदोलन में सक्रिय रहने वाली कनीफ फातिमा फिर बनी विधायक, सदन में होंगे 9 मुस्लिम प्रतिनिधि
कर्नाटक चुनाव 2023: सीएए और हिजाब विरोधी आंदोलन में सक्रिय रहने वाली कनीफ फातिमा फिर बनी विधायक, सदन में होंगे 9 मुस्लिम प्रतिनिधि

 

 
मलिक असगर हाशमी /नई दिल्ली

कर्नाटक के उत्तरी गुलबर्ग में सीएए और हिजाब विरोधी आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाने वाली कनीज फातिमा एक बार फिर इस इलाके से चुनाव जीतने में सफल रही हैं. उत्तरी गुलबर्गा सीट से उन्होंने लिंगायत युवा नेता भाजपा के चंद्रकांत पाटिल को करीबी लड़ाई में परास्त किया है.

फातिमा ने 45.28 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 80,973 मत हासिल किए, जबकि पाटिल को 78,261 वोट मिले. इस जीत-हार का अंतर मात्र 2,712 वोट रहा.फातिमा 2018 के विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले सार्वजनिक जीवन मंे दाखिल हुई हैं. पहले वह एक घरेलू महिला थीं. छह बार के मंत्री और इलाके के विधायक  पति कमरुल इस्लाम के निधन के बाद वह सियासत में आईं.
 
इस बार के चुनाव में फातिमा को पाटिल से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा. 2018 के चुनाव में उन्हांेने 5,940 मतों से जीत हालिस की थी. पिछली बार इस सीट से 9 मुस्लिम प्रतिद्वंद्वी थे, जिनमें जद (एस) के नासिर हुसैन भी शामिल हैं. 
 
एक कट्टर मुस्लिम महिला की पहचान रखने वाली कनीज फातिमा सार्वजनिक रूप से हिजाब पहनती हंै. 2022 में बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा कॉलेजों में हिजाब पर लगाए गए प्रतिबंध के विरोध में गुलबर्गा में होने वाले आंदोलनों में  वो आगे-आगे थीं.
 
हिजाब के अलावा वह 2020 के सीएए विरोधी प्रदर्शनों में भी आगे-आगे रही हैं. हिजाब आंदोलन के समय कनीज फातिमा ने कहा था कि हिजाब पहनना हमारा मूल अधिकार है. स्वतंत्र भारत में हमें स्वतंत्र रूप से रहने की आजादी मिली हुई है. हम किसी से कपड़ों को लेकर सवाल नहीं पूछ सकते. लड़कियों को इस मुद्दे पर कॉलेजों में जाने से नहीं रोका जाना चाहिए.”
 
गुलबर्गा उत्तर में 60 प्रतिशत मुसलमान हैं. वह कहती हैं कि कर्नाटक में बदलाव के लिए कांग्रेस को सत्ता में आना जरूरी थी.
 
10 साल बाद सर्वाधिक संख्या में विधानसभा पहुंचे मुस्लिम उम्मीदवार

 
ध्रुवीकरण का लाभ केवल एक पार्टी को नहीं होता है. दूसरे दलों भी इसका लाभ उठाते रहे हंै. कुछ ऐसा ही इस बार के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में देखने को मिला.कर्नाटक विधान की कुल सीटों की संख्या 224 है. चुनाव से पहले हिंदू-मुस्लिम ध्र्रवीकरण का आरोप भाजपा पर लगा, पर इसे कैश कराया कांग्रेस ने.
 
आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी ने हिजाब विवाद को हवा देकर और ऐन चुनाव से पहले मुस्लिम आरक्षण समाप्त कर वोटों का ध्रुवीकरण करने का प्रयास किया. मगर चुनाव परिणाम इसके पक्ष में न जाकर इसके विरोध में गए और आज वह कर्नाटक में सत्ता से बाहर हो गई है.
 
यहां तक कि स्कूलों में तय ड्रेस कोड में ‘हिजाब के घुुसपैठ’ को रोकने वाले शिक्षा मंत्री भी चुनाव हार गए है. इसके उलट हिजाब की हिमायती और खुद भी हिजाब लगाने वाली कनीज फातिमा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गई हैं.
 
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 1978 में सर्वाधिक 16 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीते थे. उसके बाद यह तीसरी बार है जब बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव मंे विजयश्री हालिस हुई है.
 
कर्नाटक में मुसलमानों की कुल आबादी का 13 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है. चुनाव के मददेनजर बीजेपी ने हिजाब विवाद और 4 प्रशित आरक्षण को खत्म कर हिंदू-मुस्लिम ध्रवीकरण करने की भरपूर कोशिश की. बावजूद इसके वह न केवल सत्ता से बाहर हो गई,
 
मुस्लिम समुदाय से 9 लोग विधान सभा में कदम रखने वाले हैं. पिछले चुनाव में  केवल 7 मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे. मगर भाजपा के तमाम सांप्रदायिक एजंडा के बावजूद पिछली बार की तुलताना में इस बार दो अधिक विधायक कर्नाटक विधानसभा मंे पहुंचने वाले हैं.
 
मेजे की बात है कि कर्नाटक चुनाव 2023 में अधिकांश विजेता उम्मीदवार कांग्रेस पार्टी से हैं. जेडी (एस) ने इस बार समुदाय से 23 उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया था. बावजूद इसके उसका यह फार्मूला काम नहीं आया.
 
2008 में विधानसभा में 8 मुस्लिम के विधायक थे. 2013 में कांग्रेस से 9 और जनता दल (सेक्युलर) से 2 यानी कुल 11 विधायक थे.
 
गौरतलब है कि जद(एस) ने आखिरी समय में एआईएमआईएम के साथ गठबंधन के विचार को भी खारिज कर दिया था.ओवैसी के नेतृत्व वाले संगठन ने 2 सीटों पर चुनाव लड़ा और शून्य सीटों पर जीत हासिल करने वाले कुल वोटों का केवल 0.02 प्रतिशत हासिल किया. स्टूडेंट्स डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने 16 उम्मीदवारों (11 मुस्लिम, 5 अन्य) को मैदान में उतारा था.
 
बता दें कि कर्नाटक की कम से कम 19 सीटों पर 30 प्रतिशत से अधिक मतदाता मुस्लिम हैं.अब जानते हैं चुनाव जीतने वाले मुस्लिम उम्मीदवारों  के बारे मंे.
 
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उत्तर बेलगाम से आसिफ (राजू) ने भाजपा के रवि बी पाटिल को 4231 मतों से हरा कर जीत हासिल की है.
 
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उत्तर गुलबर्गा से कनीज फातिमा ने भाजपा के चंद्रकांत बी पाटिल को 2712 मतों से हराया. कनीज फातिमा हिजाब की हिमायती हैं और खुद भी इसका शिद्दत से पालन करती हैं.
 
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बीदर से रहीम खान ने जद (एस) के सूर्यकांत नागमारपल्ली को 10780 मतों से हराया.
 
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शिवाजीनगर से रिजवान अरशद ने बीजेपी के एन चंद्रा को 23194 वोटों से हराया.
 
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शांति नगर से एनए हारिस ने बीजेपी के के शिवकुमार को 7125 वोटों से हराया
 
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चामराजपेट से बीजेड जमीर अहमद खान ने बीजेपी के भास्कर राव को 53953 वोटों से हराया.
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रामनगरम से एचए इकबाल हुसैन ने जद(एस) के निखिल कुमारस्वामी को 10715 मतों से हराया.
 
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मेंगलुरु से यूटी खादर फरीद ने बीजेपी के सतीश कुमपाला को 22790 वोटों से हराया.
 
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नरसिम्हराजा से तनवीर ने भाजपा के सतीश संदेश स्वामी को 31120 मतों से हराया.1978 में शीर्ष मुस्लिम 16 विधायक थे. जबकि सबसे कम 1983 में रामकृष्ण हेगड़े के मुख्यमंत्रित्व काल में दो मुस्लिम चुनकर विधानसभा पहुंचे थे.