Kanwar Yatra: How many times should one visit this holy pilgrimage again after the wish is fulfilled?
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
सावन मास के आरंभ के साथ ही देशभर में शिवभक्तों के जोश और आस्था की लहर उमड़ पड़ती है. 2025 में 11 जुलाई से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है, और हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख, देवघर, बासुकीनाथ जैसे प्रमुख स्थलों से जल लेकर हजारों श्रद्धालु “बोल बम” के जयकारों के साथ अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं.
कांवड़ यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि शिवभक्तों के लिए एक आत्मिक अनुभव है. जलाभिषेक के माध्यम से शिव को प्रसन्न करने की भावना और अपने मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना इस यात्रा की मूल भावना होती है.
क्या है कांवड़ यात्रा का महत्व?
कांवड़ यात्रा सावन के महीने में भगवान शिव को गंगाजल अर्पित करने की एक विशेष परंपरा है. इसे विशेष रूप से श्रावण मास में सोमवारी (सोमवार) को महत्व दिया जाता है, जब शिवलिंग पर जल चढ़ाने से माना जाता है कि महादेव जल्दी प्रसन्न होते हैं.
पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब शिव ने विषपान किया, तब सभी देवताओं ने उन्हें शांत रखने के लिए गंगाजल अर्पित किया था। उसी परंपरा का पालन आज भी शिवभक्त करते हैं.
मनोकामना पूरी होने के बाद क्या दोबारा करनी चाहिए कांवड़ यात्रा? यह एक ऐसा प्रश्न है जो कई श्रद्धालुओं के मन में उठता है. अगर मेरी मन्नत पूरी हो गई है, तो क्या मुझे दोबारा कांवड़ यात्रा पर जाना चाहिए? धार्मिक दृष्टिकोण से इसका उत्तर है: "हां, ज़रूर."
1. आभार प्रकट करने की भावना:
कांवड़ यात्रा सिर्फ मन्नत मांगने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का भी मार्ग है. अगर किसी की मन्नत पूरी हो गई है तो दोबारा यात्रा पर जाकर “धन्यवाद कांवड़” के रूप में गंगाजल चढ़ाया जाता है. इसे ‘कृतज्ञता कांवड़’ भी कहा जाता है.
2. हर बार यात्रा का अनुभव नया होता है:
हर कांवड़ यात्रा का आध्यात्मिक, सामाजिक और शारीरिक अनुभव अलग होता है। कई श्रद्धालु हर साल इसे दोहराते हैं क्योंकि उन्हें इसमें आत्मिक शांति, ऊर्जा और शक्ति मिलती है.
3. पुनः पुण्य अर्जन:
शास्त्रों में कहा गया है कि जितनी बार आप शिव को गंगाजल अर्पित करते हैं, उतना ही पुण्य संचित होता है. यह कर्म भविष्य की विपत्तियों को भी शांत कर सकता है.
4. परंपरा और भक्ति का सतत प्रवाह:
कई भक्त कांवड़ यात्रा को जीवन का हिस्सा बना लेते हैं. कुछ इसे 5 साल, 11 साल या पूरी उम्र की यात्रा मानते हैं.
यदि आपकी मन्नत पूरी हो चुकी है, तो कांवड़ यात्रा पर दोबारा जाना सिर्फ उचित ही नहीं, बल्कि धार्मिक रूप से शुभ और पुण्यकारी माना जाता है. यह आपकी आस्था और श्रद्धा को और मजबूत बनाता है, साथ ही शिव से जुड़ाव को और गहरा करता है. "बोल बम" के उद्घोष के साथ हर बार की यात्रा नई भक्ति और नई ऊर्जा का संचार करती है. इसलिए...मन्नत पूरी हो या न हो, शिव का आभार प्रकट करने कांवड़ पर जरूर जाएं.