Building a consensus among states is the biggest hurdle in river linking projects: Centre
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने सोमवार को स्वीकार किया कि जल बंटवारे को लेकर आशंकाओं के कारण नदियों को आपस में जोड़ने के कार्यक्रम को लेकर संबंधित राज्यों के बीच आम सहमति बनाना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य है.
जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा में कहा कि नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं की सफलता अंतरराज्यीय समझौते पर निर्भर करती है. उन्होंने कहा, ‘‘जल-बंटवारे को लेकर राज्यों की आशंकाओं के कारण, उनके बीच आम सहमति बनाना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य है.’’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत नदियों को आपस में जोड़ने की 30 परियोजनाओं को चिह्नित किया गया, जिनमें से पांच को कार्यान्वयन के लिए प्राथमिकता दी गई है। इसमें केन-बेतवा लिंक परियोजना भी शामिल है, जो वर्तमान में निर्माणाधीन है.
इस परियोजना का लक्ष्य मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में 10.6 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिंचाई सुविधा प्रदान करना और लगभग 62 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध कराना है। इससे 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी उत्पन्न होगी.
उन्होंने बताया कि बिहार में कोसी-मेची संपर्क योजना से 2.1 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि की सिंचाई के लिए अतिरिक्त मानसून जल का उपयोग किए जाने और कोसी नदी के निचले इलाकों में बाढ़ के प्रभाव को कम करने की उम्मीद है.