नाथुला (सिक्किम)
पाँच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद, कैलाश मानसरोवर यात्रा शुक्रवार को सिक्किम के रास्ते एक बार फिर शुरू हो गई। इस ऐतिहासिक तीर्थ यात्रा के पहले जत्थे को राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर ने नाथुला दर्रे से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
इस पहले जत्थे में कुल 36 लोग शामिल हैं—33 तीर्थयात्री, दो नोडल अधिकारी और एक इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) का डॉक्टर। यह यात्रा भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक निरंतरता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक बनकर सामने आई है।
ध्वजारोहण समारोह के दौरान राज्यपाल माथुर ने कहा, “यह सिक्किम राज्य के लिए गर्व का क्षण है कि यह ऐतिहासिक और आध्यात्मिक यात्रा एक बार फिर इस पावन भूमि से आगे बढ़ रही है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह यात्रा हमारे सांस्कृतिक धरोहर की पुनर्स्थापना और अंतरराष्ट्रीय सद्भाव का प्रतीक है।
राज्यपाल ने सिक्किम सरकार, भारतीय सेना और आईटीबीपी के उत्कृष्ट समन्वय की भी सराहना की। रवाना होने से पहले उन्होंने सभी तीर्थयात्रियों से मुलाकात की और उनकी सुरक्षित व सफल यात्रा के लिए शुभकामनाएँ दीं।
सिक्किम के पर्यटन मंत्री शेरिंग थेंदुप भूटिया ने कहा, “पाँच साल बाद इतिहास बन रहा है कि देशभर से श्रद्धालु यहाँ आकर मानसरोवर यात्रा के लिए तैयार हो रहे हैं। यह यात्रा कोविड-19 के कारण कई वर्षों से स्थगित थी। अब पहला जत्था रवाना हो चुका है और दूसरा जत्था भी तैयार हो रहा है। इससे नाथुला की पहचान को बढ़ावा मिलेगा और सिक्किम पर्यटन को भी नया आयाम मिलेगा।”
यात्रियों को कड़े चिकित्सकीय परीक्षणों से गुजारा गया और दो चरणों में ऊँचाई के अनुरूप अनुकूलन (एक्लिमेटाइजेशन) की प्रक्रिया पूरी करवाई गई—पहले 18वाँ माइल और फिर शेराथांग में। ये सभी उपाय हिमालयी ऊँचाई (14,000 फीट से अधिक) में यात्रा की कठिन परिस्थितियों के लिए अनिवार्य थे।
भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया, “सभी तीर्थयात्रियों को चिकित्सकीय दल ने पूर्ण रूप से फिट घोषित कर दिया है और वे यात्रा के लिए तैयार हैं।”
तीर्थयात्रियों में शामिल शालंदा शर्मा ने कहा, “यह यात्रा पाँच वर्षों बाद भारत और चीन सरकार के आपसी सहयोग से फिर शुरू हो रही है। यहाँ की व्यवस्थाएँ, आतिथ्य और चिकित्सकीय देखभाल के लिए हम बेहद आभारी हैं। हम सभी बहुत उत्साहित हैं कि कैलाश मानसरोवर के आशीर्वाद को भारत वापस लेकर जाएँगे।”
एक अन्य यात्री इंदर शर्मा ने सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC) और प्रशासन की तैयारियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि स्वास्थ्य जांच से लेकर यात्रा के समस्त इंतज़ाम तक सब कुछ सुव्यवस्थित तरीके से किया गया है। उन्होंने आशा जताई कि यह यात्रा भारत-चीन संबंधों को और मज़बूती देगी और भविष्य में अधिक तीर्थयात्रियों को अवसर मिलेगा।
योजना के अनुसार, सुबह 9:15 बजे तक यह दल नाथुला सीमा पार कर चीन के क्षेत्र में प्रवेश करेगा, जहाँ आव्रजन (इमिग्रेशन) की औपचारिकताएँ पूरी की जाएँगी। इसके बाद तीर्थयात्री कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की ओर अपनी यात्रा जारी रखेंगे।
यह यात्रा भारत सरकार के विदेश मंत्रालय, सिक्किम पर्यटन विकास निगम और इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस के संयुक्त सहयोग से संचालित की जा रही है, जिससे सभी प्रतिभागियों के लिए यह अनुभव सुरक्षित और स्मरणीय बन सके।