ख्वाजा के दरबार में खुला जन्नती दरवाजा, कड़ाके की ठंड के बावजूद दरगाह पहुंचे जायरीन

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 23-01-2023
ख्वाजा के दरबार में खुला जन्नती दरवाजा, कड़ाके की ठंड के बावजूद दरगाह पहुंचे जायरीन
ख्वाजा के दरबार में खुला जन्नती दरवाजा, कड़ाके की ठंड के बावजूद दरगाह पहुंचे जायरीन

 

आवाज द वॉयस/ अजमेर

हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 811वां उर्स शुरू हो गया है. जहां चंदन की रस्म पूरी की गई, वहीं  दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज में जनती दरवाजा खोल दिया गया. रात से ही जायरीन दरवाजा खुलने का इंतजार कर रहे थे.
 
जन्नती दरवाजा साल में चार बार खोला जाता है. यह दरवाजा ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के अवसर पर 6 दिनों के लिए, एक दिन ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के अवसर पर, एक दिन ईद-उल-फितर और ईद-उल-अधा के अवसर पर खोला जाता है.
 
चूंकि उर्स के दौरान जायरीन की भारी भीड़ होती है, इसलिए जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा उचित व्यवस्था की जाती है. जायरीन के बीच जन्नती दरवाजे से गुजरने की होड़ होती है ताकि भगदड़ न हो, इसलिए सुरक्षा के लिए जनता को मजबूत मोटी रस्सियों से बांधा जाता है.
 
क्यों कहते हैं जन्नती दरवाजा

दरगाह खुदामीन के अनुसार, हुजूर गरीब नवाज अपने अस्ताना वाली जगह पर झोपड़ी बनाते थे और गरीब नवाज से मिलने आने वाले एक दरवाजे से दाखिल होते थे और दूसरे से निकल जाते थे.
 
लेकिन गरीब नवाज खुद पश्चिमी गेट से होकर गुजरते थे और इसी गेट पर रुककर दुआ करता थे कि मेरे बाद जो भी इस गेट से गुजरे अल्लाह उसे माफ करे और उसे जन्नत में जगह दे. इसीलिए इस दरवाजे को जन्नती दरवाजा कहा जाता है. इस शुभ अवसर पर दरगाह के सेवादारों ने जन्नती कपाट खोलने के बाद देश में अमन-चैन, खुशहाली और विकास की दुआ मांगी.