Jairam Ramesh attacks Election Commission over INDIA bloc's meet with ECI, says meeting held "under pressure"
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद जयराम रमेश ने भारतीय चुनाव आयोग (ECI) पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने बिहार में प्रस्तावित विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर भारतीय ब्लॉक के प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठक को “दबाव में कराई गई” बताया और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लोकतंत्र के लिए “खतरा” करार दिया.
जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर अपने आधिकारिक 'एक्स' (पूर्व ट्विटर) हैंडल से कई टिप्पणियाँ साझा करते हुए कहा कि ECI ने पहले बैठक करने से इनकार कर दिया था। बाद में जब सहमति दी, तब उन्होंने प्रत्येक दल से केवल दो नेताओं को ही बैठक में शामिल होने की अनुमति दी. रमेश के मुताबिक, इसी कारण कई विपक्षी नेता आयोग से मिले बिना ही लौट गए। उन्होंने खुद को भी दो घंटे तक प्रतीक्षा कक्ष में बैठा रहने की बात कही. कांग्रेस नेता ने कहा, “आख़िरकार दबाव में बैठक कराई गई, लेकिन चुनाव आयोग ने मनमानी करते हुए प्रत्येक पार्टी से केवल दो प्रतिनिधियों को अनुमति दी. मैं स्वयं दो घंटे प्रतीक्षा कक्ष में बैठा रहा. उन्होंने चुनाव आयोग के रवैये को लोकतंत्र के मूल ढांचे के खिलाफ बताया.
“पिछले छह महीनों में आयोग का रवैया यह दर्शाता है कि वह विपक्ष के विचारों और शिकायतों को महत्व नहीं देता। यह न केवल असंवैधानिक है बल्कि लोकतंत्र की भावना के भी खिलाफ है. जयराम रमेश ने चुनाव आयोग पर “मनमाने नियम थोपने” का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ECI यह तय नहीं कर सकता कि कौन प्रतिनिधिमंडल में शामिल हो सकता है और कौन नहीं.
“सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आयोग राजनीतिक दलों के साथ बातचीत के लिए मनमाने नियम नहीं बना सकता – न प्रतिनिधियों की संख्या, न पद, न उनके चयन का अधिकार. उन्होंने इस कथन पर चिंता जताते हुए लिखा कि अगर यह नया आयोग है, तो इसके अगले कदम क्या होंगे? “जैसे नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया, वैसे ही SIR के जरिए हो रहा मतदाता दमन हमारे लोकतंत्र की नींव को कमजोर करेगा.
गौरतलब है कि बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची को लेकर राजनीतिक माहौल गरम है। विपक्षी गठबंधन ‘INDIA ब्लॉक’ ने आशंका जताई है कि SIR के नाम पर कुछ खास समुदायों को मतदाता सूची से बाहर किया जा सकता है। इसी संदर्भ में 11 विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मुलाकात की थी. अब देखना यह है कि चुनाव आयोग इस गंभीर आरोप पर क्या प्रतिक्रिया देता है, और SIR प्रक्रिया को लेकर आगे क्या रुख अपनाता है. फिलहाल जयराम रमेश के तीखे बयान से यह तय है कि बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची और चुनावी प्रक्रियाओं को लेकर सियासत गरमाने वाली है.