इसरो का बड़ा काम, किया स्वदेशी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का आविष्कार

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 20-05-2021
एक बड़ी उपलब्धि
एक बड़ी उपलब्धि

 

आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली

इसरो कोविड के खिलाफ चल रहे युद्ध में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) ने ‘श्वांस’ नाम का एक मेडिकल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर विकसित किया है, जो ऑक्सीजन पर रहने वाले मरीज को 95 प्रतिशत का इष्टतम ऑक्सीजन स्तर देता है.

इसरो द्वारा विकसित ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दबाव स्विंग सोखने के माध्यम से हवा से नाइट्रोजन गैस को अलग करेगा और रोगियों को प्रदान की जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि करेगा. यह एक मिनट में करीब 10 लीटर ऑक्सीजन देने में सक्षम है. इसमें एक साथ दो मरीजों का इलाज किया जा सकता है.

गौरतलब है कि इसरो लगातार कोरोना महामारी में देश के लिए काम कर रहा है. स्वांस का आविष्कार इस दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है. इससे पहले इन-हाउस मेडिकल टेक्नोलॉजी के अलावा बड़े टैक्स के जरिए देश में लिक्विड ऑक्सीजन भेजी जाती थी.

इसरो द्वारा बनाए गए इस सांद्रक ‘श्वांस’ में 600 वाट की शक्ति है, जो 220 वी/50 हर्ट्ज के वोल्टेज पर चलेगा. इसमें ऑक्सीजन की मात्रा 82 प्रतिशत से 95 प्रतिशत से अधिक होगी. इसमें प्रवाह दर और कम शुद्धता या कम या उच्च शुद्धता के लिए श्रव्य अलार्म भी हैं. इसरो द्वारा बनाए गए इस ऑक्सीजन कंसंटेटर का वजन करीब 44 किलो है, जो ऑक्सीजन की सघनता, दबाव और प्रवाह दर को प्रदर्शित करेगा.

वीएसएससी का कहना है कि चिकित्सा उपकरण बनाना इसरो के अंतर्गत नहीं आता है, क्योंकि इसके लिए मानव मनोविज्ञान की गहरी समझ की आवश्यकता होती है. डॉक्टरों की मदद के बिना सांस लेने का उपकरण बनाना मुश्किल है. ऐसे में इसरो में काम करने वाले इंजीनियरों ने पूरी प्रक्रिया को समझा, थ्योरी का अध्ययन किया और इसे बनाकर दिखाया.