नई दिल्ली
भारतीय नौसेना के द्विवार्षिक कमांडर्स’ कॉन्फ्रेंस 2025 के दूसरे संस्करण का शुभारंभ गुरुवार को नौसेना प्रमुख (Chief of the Naval Staff – CNS) के उद्घाटन संबोधन के साथ हुआ।
अपने संबोधन में नौसेना प्रमुख ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान नौसेना कर्मियों द्वारा प्रदर्शित समर्पण, अनुशासन और उत्कृष्ट पेशेवर क्षमता की सराहना करते हुए कहा कि यह न केवल नौसेना के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।
सम्मेलन के पहले दिन वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने भी नौसेना कमांडरों को संबोधित किया। उन्होंने भारतीय नौसेना की हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चुनौतियों से निपटने में निभाई जा रही प्रमुख भूमिका की प्रशंसा की और तीनों सेनाओं के बीच समन्वय, संयुक्त योजना और एकीकृत अभियानों के महत्व पर बल दिया।
नौसेना प्रमुख ने वर्तमान भूराजनीतिक परिस्थितियों (geostrategic environment) पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय नौसेना राष्ट्र के समुद्री हितों की सुरक्षा में अग्रणी भूमिका निभा रही है। उन्होंने नौसेना की बढ़ी हुई तत्परता, अनुकूलनशीलता और क्षेत्रीय सहभागिता को इसकी निरंतर सफलता की कुंजी बताया।
उन्होंने भारतीय नौसेना को एक कॉम्बैट-रेडी और प्रोफेशनल फोर्स के रूप में दोहराते हुए हाल के महीनों में सफल ऑपरेशनल डिप्लॉयमेंट्स, संयुक्त अभियानों और नवीनतम क्षमता-वृद्धि (Capability Accretion) की सराहना की, जिन्होंने नौसेना की ताकत को और सशक्त बनाया है।
CNS ने भारतीय नौसेना को एक “विश्वसनीय शक्ति” और “प्राथमिक सुरक्षा भागीदार” के रूप में रेखांकित किया, विशेषकर हिंद महासागर क्षेत्र में। उन्होंने ‘IOS सागर’ की तैनाती, ‘AIKEYME’ अभ्यास और ‘MAHASAGAR’ दृष्टिकोण के तहत उठाए गए रणनीतिक कदमों को नौसेना की दूरदर्शी सोच का प्रतीक बताया।
नौसेना प्रमुख ने यह भी बताया कि नौसेना एक ‘संगठित एवं सशक्त बल’ (Cohesive Force) के रूप में कार्य कर रही है। उन्होंने कर्मियों की भर्तियों, आवास सुधार, शारीरिक फिटनेस, और कल्याण योजनाओं के साथ-साथ प्रौद्योगिकी नवाचार, iDEX पहलों की सफलता, और 2047 तक आत्मनिर्भर नौसेना (Atmanirbhar Navy) बनने की दिशा में हो रही प्रगति की सराहना की।
CNS ने नौसेना के लिए सात प्रमुख प्राथमिकताओं पर जोर दिया:
युद्ध कौशल और कॉम्बैट दक्षता में वृद्धि
फोर्स लेवल और क्षमता विकास
बेड़े का रखरखाव और लॉजिस्टिक सशक्तिकरण
नवाचार और नई तकनीकों का एकीकरण
मानव संसाधन और संतुलित कार्यबल विकास
संगठनात्मक चुस्ती और संचालनिक फुर्ती (Agility)
राष्ट्रीय एजेंसियों एवं हितधारकों के साथ समन्वय
अंत में, नौसेना प्रमुख ने इन प्राथमिक क्षेत्रों में गति बनाए रखने और भारत की समुद्री सुरक्षा एवं हितों की रक्षा हेतु नौसेना की कुल क्षमता और तत्परता को और मजबूत करने का आह्वान किया।