नई दिल्ली
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत जल्द ही अपनी खुद की डिजिटल करेंसी लॉन्च करने जा रहा है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का समर्थन प्राप्त होगा। यह जानकारी उन्होंने कतर की राजधानी दोहा में एक राउंडटेबल बैठक के दौरान दी।
गोयल ने बताया कि इस डिजिटल करेंसी का उद्देश्य लेनदेन को तेज, सुरक्षित और पारदर्शी बनाना है, साथ ही कागज की खपत को कम करना भी इस पहल का एक अहम हिस्सा है।
उन्होंने समझाया कि यह डिजिटल मुद्रा पारंपरिक करेंसी की तरह ही कार्य करेगी, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध होगी। गोयल ने कहा, “भारत ने घोषणा की है कि हम एक डिजिटल करेंसी ला रहे हैं, जो भारतीय रिजर्व बैंक की गारंटी से समर्थित होगी, जैसे हमारी सामान्य मुद्रा होती है।”
उन्होंने इसे अमेरिका में GENIUS एक्ट के तहत पेश किए गए "स्टेबल कॉइन" से तुलना करते हुए बताया कि यह नया सिस्टम लेनदेन को और अधिक आसान और प्रभावी बना देगा।
पीयूष गोयल ने कहा, “इससे लेनदेन करना न केवल आसान होगा, बल्कि यह बैंकिंग सिस्टम की तुलना में तेज भी होगा और कागज़ की खपत भी घटेगी।”
यह डिजिटल मुद्रा ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगी, जिससे लेनदेन पूरी तरह से पारदर्शी और ट्रेस करने योग्य होंगे। मंत्री के अनुसार, इससे अवैध लेनदेन पर रोक लगाने में भी मदद मिलेगी, क्योंकि हर डिजिटल लेनदेन को सिस्टम के माध्यम से सत्यापित किया जा सकेगा।
क्रिप्टोकरेंसी के मुद्दे पर बोलते हुए गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत ने इन पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन सरकार इनका समर्थन नहीं करती। उन्होंने कहा, “हम उन क्रिप्टोकरेंसी का समर्थन नहीं करते जिनके पीछे कोई संप्रभु गारंटी नहीं है या जो किसी संपत्ति से समर्थित नहीं हैं।”
उन्होंने समझाया कि बिटकॉइन जैसी निजी क्रिप्टोकरेंसी बिना किसी आधिकारिक गारंटी के संचालित होती हैं। “अगर कल कोई खरीदार न हो, तो उसकी कोई गारंटी नहीं होती,” उन्होंने कहा।
गोयल ने यह भी बताया कि सरकार ने ऐसे डिजिटल एसेट्स पर भारी टैक्स लगाए हैं। “यह एक ऐसी चीज़ है जो आप अपने जोखिम और लागत पर कर सकते हैं। सरकार न तो इसे प्रोत्साहित करती है और न ही हतोत्साहित, हम सिर्फ इस पर टैक्स लगाते हैं।”
उन्होंने यह भी जोर दिया कि भारत की डिजिटल करेंसी निजी क्रिप्टोकरेंसी से पूरी तरह अलग होगी, क्योंकि यह पूरी तरह से भारतीय रिजर्व बैंक की गारंटी से समर्थित होगी। इससे न केवल उपयोगकर्ताओं को सुरक्षा और भरोसा मिलेगा, बल्कि देश की वित्तीय प्रणाली की मजबूती भी बनी रहेगी।