नई दिल्ली
भारत अगले वर्ष एक जनवरी से तीसरी बार किम्बर्ली प्रक्रिया (Kimberley Process) की अध्यक्षता संभालेगा। वाणिज्य मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी। किम्बर्ली प्रक्रिया एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर की आपूर्ति श्रृंखला से विवादित (कॉनफ्लिक्ट) हीरों को हटाना है।
किम्बर्ली प्रक्रिया विभिन्न देशों की सरकारों, हीरा उद्योग और नागरिक समाज के बीच एक संयुक्त व्यवस्था है। इसका मुख्य लक्ष्य ऐसे कच्चे हीरों के व्यापार को रोकना है, जिनका इस्तेमाल विद्रोही समूहों द्वारा वैध सरकारों के खिलाफ संघर्ष को वित्तपोषित करने के लिए किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार, विवादित हीरे वे कच्चे हीरे होते हैं जिनसे विद्रोही संगठन धन जुटाकर हिंसा और अस्थिरता फैलाते हैं। इसी समस्या से निपटने के लिए किम्बर्ली प्रक्रिया प्रमाणन योजना (KPCS) बनाई गई थी।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत 25 दिसंबर 2025 से किम्बर्ली प्रक्रिया का उपाध्यक्ष पद संभाल चुका है और नए साल यानी एक जनवरी से अध्यक्ष की जिम्मेदारी ग्रहण करेगा। यह तीसरी बार होगा जब भारत को इस महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंच की अध्यक्षता सौंपी गई है।
किम्बर्ली प्रक्रिया प्रमाणन योजना को संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव के तहत बनाया गया था और इसे एक जनवरी 2003 से लागू किया गया। तब से यह विवादित हीरों के व्यापार पर रोक लगाने का एक प्रभावी वैश्विक तंत्र बन चुकी है।
फिलहाल इस प्रक्रिया में 60 भागीदार शामिल हैं। इसमें यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों को एक ही भागीदार माना जाता है। ये सभी देश मिलकर दुनिया के कच्चे हीरों के व्यापार के 99 प्रतिशत से अधिक हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी वजह से किम्बर्ली प्रक्रिया को हीरा व्यापार को नियंत्रित करने वाला सबसे व्यापक अंतरराष्ट्रीय तंत्र माना जाता है।
भारत हीरा काटने और पॉलिश करने के क्षेत्र में एक बड़ा वैश्विक केंद्र है। ऐसे में किम्बर्ली प्रक्रिया की अध्यक्षता भारत के लिए न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान की बात है, बल्कि जिम्मेदारी भी है कि वह पारदर्शी, सुरक्षित और नैतिक हीरा व्यापार को बढ़ावा दे।






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