नई दिल्ली
उन्नाव रेप केस में पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद सजा को दिल्ली हाईकोर्ट ने निलंबित कर उन्हें जमानत देने का आदेश दिया है। इस फैसले पर संसद में CPI सांसद पी. संदोश कुमार ने इसे “असामयिक और अनुचित” करार दिया और सुप्रीम कोर्ट से आदेश की समीक्षा करने का आग्रह किया।
सांसद संदोश कुमार ने ANI से कहा, “हाईकोर्ट का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य है। CBI ने इस मामले में आरोपी की जमानत याचिका का विरोध करने में पर्याप्त रुचि नहीं दिखाई। ऐसे अपराधियों को छोड़ना नहीं चाहिए। मुझे उम्मीद है कि उच्च न्यायालय इस आदेश की समीक्षा करेगा।”
वहीं, CBI ने भी दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। CBI ने कहा कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर) द्वारा सेंगर को जमानत देने और सजा निलंबित करने के फैसले के खिलाफ स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) दाखिल की जाएगी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंगर को 15 लाख रुपये के जमानत बांड के साथ राहत दी है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि सेंगर पीड़िता के दिल्ली स्थित निवास से 5 किलोमीटर के दायरे में प्रवेश न करें और उन्हें दिल्ली में ही रहना होगा। साथ ही, उन्हें पीड़िता के परिवार से कोई संपर्क नहीं करना होगा।
इस आदेश पर लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे “निराशाजनक और शर्मनाक” बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे अमानवीय घटनाओं के कारण भारत केवल मृत अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि मृत समाज बनता जा रहा है।
पूर्व जम्मू-कश्मीर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह आदेश रेप पीड़िता के लिए भयानक संदेश भेजता है। उन्होंने पुलिस पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिन्होंने पीड़िता को भारत गेट पर विरोध प्रदर्शन से रोकने के लिए जबरदस्ती वैन में बैठाया।
संपूर्ण घटनाक्रम से साफ है कि उन्नाव रेप केस में न्याय व्यवस्था के निर्णय और उनके प्रभाव ने समाज में गहरी बहस छेड़ दी है। CPI सांसद और अन्य नेताओं का कहना है कि वे इस मुद्दे पर आवाज उठाते रहेंगे और पीड़िता के न्याय की लड़ाई को समर्थन देंगे।






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