भारत-अमेरिका व्यापार समझौता नौ जुलाई से पहले होने की उम्मीद; कृषि, वाहन क्षेत्र में कुछ मुद्दे लंबित

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 04-07-2025
India-US trade deal expected before July 9; some issues pending in agriculture, automobile sector
India-US trade deal expected before July 9; some issues pending in agriculture, automobile sector

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत करने के बाद भारतीय दल वाशिंगटन से लौट आया है. एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस समझौते को नौ जुलाई से पहले अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है, लेकिन कृषि और वाहन सेक्टर में कुछ मुद्दों को अभी भी सुलझाए जाने की जरूरत है, इसलिए चर्चा जारी रहेगी.
 
भारतीय दल का नेतृत्व मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल कर रहे हैं. वे वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव हैं.
 
अधिकारी ने कहा कि वार्ता अंतिम चरण में है और इसके निष्कर्ष की घोषणा नौ जुलाई से पहले होने की उम्मीद है, जो भारत सहित कई देशों पर लगाए गए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी शुल्क के 90-दिवसीय निलंबन की अवधि का अंतिम दिन है.
 
अधिकारी ने कहा, “भारतीय टीम वाशिंगटन से वापस आ गई है. वार्ता जारी रहेगी। कृषि और वाहन क्षेत्रों में कुछ मुद्दे हैं जिन्हें हल करने की आवश्यकता है.”
 
भारत ने वाहन क्षेत्र में 25 प्रतिशत शुल्क को लेकर मुद्दा उठाया है. इसने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की सुरक्षा समिति में इस मामले को उठाया है.
 
भारत ने डब्ल्यूटीओ को यह भी बताया है कि उसने इस्पात और एल्युमीनियम पर अमेरिकी शुल्क के जवाब में चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने का अधिकार सुरक्षित रखा है.
 
भारत ने विश्व व्यापार संगठन को भेजे एक पत्र में कहा है कि 26 मार्च, 2025 को अमेरिका ने भारत में बने या वहां से आयातित यात्री वाहनों और हल्के ट्रकों तथा कुछ वाहन कलपुर्जों के आयात पर 25 प्रतिशत मूल्यानुसार शुल्क वृद्धि के रूप में एक उपाय अपनाया है.
 
वाहन कलपुर्जों पर यह उपाय तीन मई, 2025 से असीमित अवधि के लिए लागू होगा.
पिछले साल अमेरिका ने वैश्विक स्तर पर 89 अरब डॉलर के वाहन कलपुर्जों का आयात किया. इसमें मेक्सिको का हिस्सा 36 अरब डॉलर, चीन का 10.1 अरब डॉलर और भारत का हिस्सा सिर्फ 2.2 अरब डॉलर का था.
 
कृषि क्षेत्र में, अमेरिका डेयरी उत्पादों, सेब, वृक्षों से प्राप्त मेवों और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों जैसे उत्पादों पर शुल्क रियायतें चाहता है.
 
हालांकि, राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण, भारत के लिए कृषि क्षेत्र में कोई रियायत देना कठिन और चुनौतीपूर्ण होगा.