नई दिल्ली
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2025 में भारत का वस्तु व्यापार घाटा मामूली रूप से घटने की संभावना है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि जुलाई में 27.4 अरब डॉलर रहा व्यापार घाटा अगस्त में घटकर 26.1 अरब डॉलर हो गया।
रिपोर्ट में कहा गया है, “अगस्त 2025 में वस्तु व्यापार घाटा मामूली रूप से घटकर 26.1 अरब डॉलर पर आ गया, जबकि जुलाई में यह 27.4 अरब डॉलर था।”
रिपोर्ट के अनुसार, यह मामूली कमी मुख्य रूप से आने वाले त्योहारों और शादी के सीज़न के मद्देनजर सोने की बढ़ी हुई मांग के कारण हुई। उच्च कीमतों के बावजूद, पिछले महीने सोने का आयात लगभग दोगुना हुआ, जिससे व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा मिला। वहीं, कमोडिटी की कीमतों में केवल हल्का सुधार देखने को मिला।
साथ ही, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में गतिरोध के कारण व्यापार पर दबाव बना हुआ है। अमेरिका भारत के माल निर्यात का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है, और बातचीत में प्रगति नहीं होने से निर्यात पर असर पड़ा।
घरेलू उद्योगों को समर्थन देने के लिए सरकार ने हाल ही में एडवांस ऑथराइजेशन स्कीम के तहत नियमों में ढील दी, जिससे निर्यात उत्पादन के लिए कच्चे माल का ड्यूटी-फ्री आयात संभव हो गया। यह कदम निर्यातकों को अमेरिका की 50 प्रतिशत शुल्क वाली पाबंदियों से राहत देने के उद्देश्य से लिया गया।
आगे की दृष्टि में, रिपोर्ट में कहा गया कि व्यापार घाटा निकट भविष्य में ऊँचा बना रह सकता है। यह मजबूत सोने के आयात, स्थिर ऊर्जा मांग और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं पूंजीगत वस्तुओं पर निरंतर निर्भरता के कारण है। कुछ राहत वैश्विक कमोडिटी कीमतों में नरमी और आयात प्रतिस्थापन प्रयासों से मिल सकती है। हालांकि, कमजोर वैश्विक मांग और शुल्क संबंधी चुनौतियों के कारण निर्यात में वृद्धि धीमी बनी रहने की संभावना है।
रिपोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में किसी सकारात्मक प्रगति से निर्यात को आवश्यक समर्थन मिल सकता है। शुल्क बाधाओं को कम करने वाला ऐसा समझौता अमेरिका जैसे प्रमुख व्यापार साझेदार के लिए भारत के निर्यात को बढ़ावा देगा।
नजदीकी प्रभाव सीमित हो सकता है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह समझौता भारत के निर्यात आधार को मजबूत कर सकता है और आने वाले तिमाहियों में व्यापार संतुलन पर दबाव को आंशिक रूप से कम कर सकता है।