आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
पिछले ग्यारह वर्षों में भारत ने तकनीक के क्षेत्र में असाधारण प्रगति की है, जिसने देश के प्रशासन, वित्तीय समावेशन, शिक्षा, स्वास्थ्य और यहां तक कि अंतरिक्ष अन्वेषण तक को बदल दिया है. जो बदलाव पहले केवल शहरी केंद्रों तक सीमित थे, वे अब ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे हैं.
डिजिटल उपकरणों ने नागरिकों को सरकारी सेवाओं से जोड़ा है, कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी बनाया है और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है. इसका श्रेय दूरदर्शी नेतृत्व को जाता है, जिसने केवल प्रणालियाँ बनाने पर नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करने पर बल दिया कि वे अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे और उसे सशक्त बनाएँ.
डिजिटल भुगतान और समावेशन में भारत ने एक नई ऊँचाई को छुआ है. यूपीआई जैसे प्लेटफ़ॉर्म ने लेन-देन की प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाया है. मार्च 2025 में, केवल एक महीने में यूपीआई के माध्यम से 24.77 लाख करोड़ रुपये के 18,301 मिलियन से अधिक लेन-देन किए गए, जिसमें 460 मिलियन उपयोगकर्ता और 65 मिलियन व्यापारी जुड़े हुए हैं.
इनमें से लगभग 50% लेन-देन माइक्रोपेमेंट श्रेणी के थे, जो इसके व्यापक और जमीनी स्तर तक पहुँच की पुष्टि करते हैं. आधार आधारित ई-केवाईसी प्रणाली ने सत्यापन को आसान बनाया है, जिससे सेवाएँ तेज़ और पारदर्शी बनी हैं. अप्रैल 2025 तक 141.88 करोड़ आधार आईडी बनाए जा चुके हैं, और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से 43.95 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि लाभार्थियों तक पहुँची है. इससे न केवल फर्जी लाभार्थियों को हटाया गया, बल्कि सार्वजनिक धन की भी बचत हुई.
भारत का डिजिटल ढाँचा मजबूत हुआ है, विशेषकर मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट के क्षेत्र में. 2016 के बाद 4जी कवरेज में विस्तार और 2022 में 5जी के आगमन ने कनेक्टिविटी को एक नया आयाम दिया है. मा
त्र 22 महीनों में देश में 4.74 लाख 5जी बीटीएस स्थापित किए गए हैं, और ये सेवाएँ अब 99.6% जिलों को कवर करती हैं. मोबाइल सब्सक्राइबर की संख्या 116 करोड़ तक पहुँच चुकी है.
डेटा की कीमतों में भारी गिरावट आई है, जिससे 2014 की तुलना में 2022 तक 308 रुपये से घटकर सिर्फ़ 9.34 रुपये प्रति जीबी हो गई है. भारतनेट परियोजना के तहत 2.14 लाख ग्राम पंचायतों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुँचाया गया है, जिससे ग्रामीण भारत की डिजिटल भागीदारी को बल मिला है.
प्रौद्योगिकी ने सार्वजनिक सेवा वितरण को भी सरल और पारदर्शी बनाया है. कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम को कोविन पोर्टल के माध्यम से सुव्यवस्थित किया गया, जिसने 220 करोड़ से अधिक खुराकों के प्रबंधन को प्रभावी ढंग से संभाला.
इसी तरह सामान्य सेवा केंद्रों (CSC) ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 5.97 लाख से अधिक डिजिटल केंद्रों के माध्यम से बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, टेलीमेडिसिन जैसी सेवाओं की पहुँच को आसान बनाया है. इन केंद्रों ने सेवा वितरण को नागरिकों के द्वार तक पहुँचा दिया है.
डिजिटल क्षमता निर्माण के तहत, भारत ने भाषा बाधाओं को तोड़ने के लिए "भाषिनी" प्लेटफ़ॉर्म की शुरुआत की, जो 35 से अधिक भाषाओं और 1,600 एआई मॉडलों के साथ नागरिकों को डिजिटल सेवाओं तक उनकी पसंद की भाषा में पहुँच प्रदान करता है.
प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) ने 6.39 करोड़ ग्रामीण नागरिकों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाकर उन्हें डिजिटल युग में आत्मनिर्भर बनाया है. सिविल सेवकों को प्रशिक्षित करने के लिए "कर्मयोगी भारत" और आईजीओटी प्लेटफ़ॉर्म की स्थापना की गई, जहाँ मई 2025 तक 1.07 करोड़ से अधिक कर्मयोगियों ने 2,588 पाठ्यक्रमों में भाग लिया.
तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए भारत ने कई रणनीतिक कदम उठाए हैं. इंडियाएआई मिशन ने एक समावेशी एआई इकोसिस्टम तैयार किया है, जो कंप्यूट क्षमता, स्टार्टअप फंडिंग, एप्लिकेशन डेवलपमेंट आदि जैसे सात स्तंभों पर आधारित है. भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग परियोजनाओं को बढ़ावा दिया गया है, जिसमें अब तक 1.55 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है. उत्तर प्रदेश के जेवर में एचसीएल और फॉक्सकॉन द्वारा नया संयंत्र स्थापित किया जा रहा है.
रक्षा क्षेत्र में भी भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं. वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 1,27,434 करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन के साथ भारत ने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस, अर्जुन टैंक, आकाश मिसाइल और अन्य स्वदेशी हथियार प्रणालियों के निर्माण में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है. सरकार की पांच स्वदेशीकरण सूचियाँ अब तक 3,000 से अधिक रक्षा उपकरणों को स्वदेशी बना चुकी हैं.
अंतरिक्ष में भी भारत ने अद्वितीय सफलता पाई है. 2017 में 104 उपग्रहों को एक साथ लॉन्च करने का रिकॉर्ड हो या चंद्रयान-3 द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग, भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषणमें नई ऊँचाइयों को छुआ है.
प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा पर सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि की, और अब 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसरो ने पिछले 11 वर्षों में 100 अंतरिक्ष मिशनों को पूरा किया है, और अंतरिक्ष बजट 13,000 करोड़ रुपये के पार चला गया है. स्पैडेक्स मिशन जैसे नए प्रयोग अंतरिक्ष मलबे से निपटने के प्रयास को दर्शाते हैं.
भारत अब अंतरिक्ष क्षेत्र में 328 से अधिक स्टार्टअप के साथ वैश्विक स्पेस इकोसिस्टम में अपनी पहचान बना रहा है. गगनयान मिशन, जिसमें चार भारतीय पायलट प्रशिक्षित हो चुके हैं, 2027 में भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान का मार्ग प्रशस्त करेगा और 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य है.
इस पूरे सफर में स्पष्ट है कि भारत ने तकनीक को केवल एक उपकरण नहीं बल्कि परिवर्तन का वाहक बनाया है. शासन अब अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और नागरिक-केंद्रित हो गया है. भारत की यह डिजिटल यात्रा, जो गांव से लेकर अंतरिक्ष तक फैली है, न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता की मिसाल है, बल्कि यह भविष्य में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक मज़बूत कदम भी है.