नई दिल्ली
भारतीय सेना के तोपखाना रेजिमेंट्स के आधुनिकीकरण और ऑपरेशनल तत्परता बढ़ाने के प्रयासों के तहत देश में निर्मित उन्नत तोपखाना प्रणाली (एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम - ATAGS) पुरानी और छोटे कैलिबर वाली बंदूकों की जगह लेगी। रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को इस परियोजना को "मिशन मोड में उत्कृष्ट सफलता" बताया।
ATAGS को पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE), जो कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की एक प्रयोगशाला है, द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
मंत्रालय ने X पर ATAGS का एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें इसकी अधिकतम मारक क्षमता 48 किलोमीटर बताई गई है।
ARDE के निदेशक ए. राजू ने रिकॉर्डेड वीडियो में कहा, "हमने यह परियोजना 2012 में शुरू की थी और 12 साल के भीतर डिज़ाइन से लेकर निर्माण, परीक्षण और फील्ड में शामिल करने की पूरी प्रक्रिया पूरी कर ली।"
उन्होंने बताया कि ATAGS का सिस्टम अत्यंत उन्नत है और ARDE देश की आत्मनिर्भरता में अहम भूमिका निभा रहा है।
इससे पहले 26 मार्च को रक्षा मंत्रालय ने 155mm/52 कैलिबर ATAGS और हाई मोबिलिटी व्हीकल 6x6 गन टोइंग व्हीकल्स की खरीद के लिए भारत फोर्ज लिमिटेड और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के साथ लगभग 6,900 करोड़ रुपये के अनुबंध किए थे।
155 mm/52 कैलिबर ATAGS पुरानी और छोटे कैलिबर वाली बंदूकों की जगह लेगा और भारतीय सेना की तोपखाना क्षमता को मजबूत करेगा।
राजू ने कहा कि 307 ATAGS की डिलीवरी का समय पांच वर्ष तय किया गया है।
मंत्रालय ने अपने पोस्ट में कहा, "ATAGS, DRDO की प्रमुख तोपखाना प्रणाली, भारतीय सेना के तोपखाना आधुनिकीकरण का नेतृत्व कर रही है, जो मिशन मोड में उत्कृष्ट सफलता का उदाहरण है।"
"यह DRDO, भारतीय सेना, और सार्वजनिक तथा निजी दोनों क्षेत्रों को मिलाकर आत्मनिर्भर भारत के रक्षा क्षेत्र को मजबूत करता है। इसके सभी-इलेक्ट्रिक ड्राइव से तोप की दिशा और गोला-बारूद का संचालन होता है, जिससे ATAGS पहाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्रों में भी विश्वसनीय और बिना रखरखाव के काम करता है।"