आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
भारत और कतर इस सप्ताह मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत शुरू करने के लिए संदर्भ की शर्तों को अंतिम रूप दे सकते हैं। वाणिज्य मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में यह जानकारी दी।
यह मुद्दा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की दो दिवसीय दोहा यात्रा के दौरान चर्चा में रहेगा। यह यात्रा छह अक्टूबर से शुरू हो रही है।
गोयल कतर-भारत व्यापार एवं वाणिज्य संयुक्त आयोग की बैठक में भाग लेंगे। इसकी सह-अध्यक्षता कतर के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री शेख फैसल बिन थानी बिन फैसल अल थानी करेंगे।
मंत्रालय ने बताया कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार प्रदर्शन की समीक्षा करने, व्यापार में मौजूद बाधाओं और गैर-शुल्क मुद्दों को हल करने और व्यापार तथा निवेश के प्रवाह को बढ़ाने के तरीकों पर व्यापक चर्चा करेंगे।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस बातचीत में प्रस्तावित भारत-कतर मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर विचार-विमर्श होने की संभावना है। साथ ही व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) के लिए संदर्भ की शर्तों को अंतिम रूप देने की दिशा में आगे बढ़ने पर भी विचार-विमर्श हो सकता है।’’
संदर्भ की शर्तें किसी भी व्यापार समझौते की बातचीत के लिए तरीके और नियम निर्धारित करती हैं।
वाणिज्य मंत्रालय के बयान में कहा गया कि वित्त, कृषि, पर्यावरण, पर्यटन, संस्कृति और स्वास्थ्य सेवा जैसे अन्य प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग भी बातचीत का एक अभिन्न अंग होगा।
यह मुद्दा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की दो दिवसीय दोहा यात्रा के दौरान चर्चा में रहेगा। यह यात्रा छह अक्टूबर से शुरू हो रही है।
गोयल कतर-भारत व्यापार एवं वाणिज्य संयुक्त आयोग की बैठक में भाग लेंगे। इसकी सह-अध्यक्षता कतर के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री शेख फैसल बिन थानी बिन फैसल अल थानी करेंगे।
मंत्रालय ने बताया कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार प्रदर्शन की समीक्षा करने, व्यापार में मौजूद बाधाओं और गैर-शुल्क मुद्दों को हल करने और व्यापार तथा निवेश के प्रवाह को बढ़ाने के तरीकों पर व्यापक चर्चा करेंगे।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस बातचीत में प्रस्तावित भारत-कतर मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर विचार-विमर्श होने की संभावना है। साथ ही व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) के लिए संदर्भ की शर्तों को अंतिम रूप देने की दिशा में आगे बढ़ने पर भी विचार-विमर्श हो सकता है।’’
संदर्भ की शर्तें किसी भी व्यापार समझौते की बातचीत के लिए तरीके और नियम निर्धारित करती हैं।
वाणिज्य मंत्रालय के बयान में कहा गया कि वित्त, कृषि, पर्यावरण, पर्यटन, संस्कृति और स्वास्थ्य सेवा जैसे अन्य प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग भी बातचीत का एक अभिन्न अंग होगा।