वर्ष 2025 में योजनाबद्ध खरीदारी एवं तत्काल जरूरतों के बीच का दायरा मिटा

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 29-12-2025
In 2025, the gap between planned purchases and immediate needs will be bridged.
In 2025, the gap between planned purchases and immediate needs will be bridged.

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
देश के खुदरा परिदृश्य में 2025 में बुनियादी बदलाव आया है और पारंपरिक ई-कॉमर्स तथा क्विक कॉमर्स के एकीकरण ने योजनाबद्ध खरीदारी एवं तत्काल जरूरतों के बीच का दायरा लगभग मिटा दिया है।
 
शुरुआत में 10 मिनट में किराना सामान पहुंचाने की एक प्रयोगात्मक पहल से शुरू हुई यह कहानी आज बहु-अरब डॉलर के बुनियादी ढांचे में बदल चुकी है जिसके जरिये अब महंगे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों से लेकर घरेलू उपकरणों तक कुछ ही मिनट में पहुंचाए जा रहे हैं।
 
सिर्फ एक कैलेंडर वर्ष में ही भारतीय उपभोक्ता का नजरिया बदल गया है जो अब यह नहीं सोचता की ‘क्या यह पहुंचेगा?’, बल्कि अब वह यह सोचता है कि यह ‘कितने मिनट में पहुंचेगा?’। वर्ष के अंत के साथ उपलब्ध आंकड़े दिखाते हैं कि यह क्षेत्र बेहद तेज रफ्तार में आगे बढ़ रहा है।
 
रेडसीयर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, क्विक कॉमर्स (त्वरित वाणिज्य) भारत का सबसे तेजी से बढ़ने वाला खुदरा प्रारूप बन गया है। इसके 150 से अधिक शहरों में 3.3 करोड़ मासिक उपभोक्ता हैं। वर्ष 2030 तक कुल ब्रांडेड खुदरा बिक्री में इसकी हिस्सेदारी करीब 10 प्रतिशत होने का अनुमान है।
 
घरेलू आय में वृद्धि और सहूलियत को प्राथमिकता देने की बढ़ती प्रवृत्ति से शहरी उपभोक्ताओं के एक बड़े वर्ग के लिए क्विक कॉमर्स पसंदीदा खरीद माध्यम बन गया है।
 
क्विक कॉमर्स बाजार की विशाल संभावनाओं से बाहर न रह जाने के लिए ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों अमेजन और फ्लिपकार्ट को भी अपने-अपने त्वरित वाणिज्य मंच शुरू करने पड़े।
 
‘अमेजन नाउ’ और ‘फ्लिपकार्ट मिनट्स’ की शुरुआत की गई है। इनसे 30 मिनट से कम समय में आपूर्ति की सुविधा दी जा रही है। यह इस बात का संकेत है कि अब तेज आपूर्ति कोई विशेष सुविधा नहीं बल्कि पूरे उद्योग का नया मानक बन चुकी है।
 
‘डार्क स्टोर’ छोटे मोहल्ला-स्तरीय केंद्रों से विकसित होकर अब विशाल ‘मेगापॉड’ में तब्दील हो गए हैं। आमतौर पर 10,000 से 12,000 वर्ग फुट क्षेत्रफल वाली इन बड़ी इकाइयों में अब 50,000 से अधिक वस्तुओं का भंडारण संभव हो गया है जिससे मंच दूध एवं ब्रेड की तरह ही आईफोन तथा एयर कंडीशनर (एसी) की भी बेहद कम समय में आपूर्ति कर पा रहे हैं।
 
‘डार्क स्टोर’ एक ऐसा खुदरा गोदाम होता है जो ग्राहकों के लिए नहीं, बल्कि केवल ऑनलाइन ऑर्डर पूरा करने के लिए बनाया जाता है।
 
इस डिजिटल उछाल से मानवीय पहलू पर भी काफी ध्यान दिया गया। वर्ष 2025 में ‘गिग’ श्रमिकों के कल्याण को लेकर बहस चरम पर पहुंच गई। वहीं 10 मिनट में आपूर्ति के दबाव से जुड़ी सड़क सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी प्रमुखता से सामने आईं।
 
'गिग’ कर्मचारी काम के आधार पर भुगतान पाने वाले कर्मी होते हैं। अकसर ये ऑनलाइन आपूर्ति सेवाओं के लिए काम करते हैं।