नई दिल्ली
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा है कि इस सप्ताह दोबारा गति पकड़ने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून अब तेजी से उत्तर-पश्चिम भारत की ओर बढ़ रहा है और इसके 25 जून तक दिल्ली सहित अधिकांश हिस्सों में पहुंचने की संभावना है, जो सामान्य समय से काफी पहले है।
आईएमडी के अनुसार, मानसून ने इस वर्ष 24 मई को केरल में दस्तक दी थी, जो 2009 के बाद सबसे जल्दी है। उस वर्ष मानसून 23 मई को पहुंचा था। इसके बाद यह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बने मजबूत निम्न दबाव तंत्र की सहायता से तेजी से आगे बढ़ा और 29 मई तक मुंबई सहित महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों और पूरे पूर्वोत्तर भारत को कवर कर चुका था।
हालांकि 28-29 मई से लेकर 10-11 जून तक मानसून की रफ्तार धीमी पड़ गई थी। इस वजह से उत्तर और मध्य भारत में तापमान तेज़ी से बढ़ा और 8-9 जून से लू जैसी स्थिति बन गई।
आईएमडी के विस्तारित पूर्वानुमान के मुताबिक, 18 जून तक मानसून मध्य और पूर्वी भारत के शेष हिस्सों के साथ-साथ उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों को भी कवर कर लेगा, और 19 से 25 जून के बीच यह पूरे उत्तर-पश्चिम भारत में फैल जाएगा।
एक वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि दिल्ली में मानसून की दस्तक 22-23 जून के आसपास हो सकती है, जबकि इसका सामान्य आगमन 27 जून को होता है।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून की शुरुआती तारीख का सीजन भर की बारिश से सीधा संबंध नहीं होता। केरल या मुंबई में मानसून के जल्दी या देर से आने का मतलब यह नहीं कि देश के अन्य हिस्सों में भी वैसा ही होगा। मानसून की गति और वितरण कई वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय कारणों से प्रभावित होता है और इसमें काफी बदलाव देखे जाते हैं।
आईएमडी ने मई में जारी अपने अनुमान में कहा था कि इस वर्ष जून-सितंबर के दौरान देश में औसत से ऊपर यानी 106 फीसदी वर्षा हो सकती है। सामान्य वर्षा की परिभाषा 50 वर्षों के औसत 87 सेमी के 96 से 104 प्रतिशत के बीच मानी जाती है।
लद्दाख, हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र, पूर्वोत्तर, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है, जबकि पंजाब, हरियाणा, केरल और तमिलनाडु के कुछ इलाकों में भी वर्षा कम रहने की संभावना है।
भारत में मानसून का कृषि क्षेत्र के लिए विशेष महत्व है, क्योंकि यह देश की लगभग 42 प्रतिशत आबादी की आजीविका का आधार है और GDP में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है। साथ ही, मानसून जलाशयों को भरने में भी अहम भूमिका निभाता है, जो पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए जरूरी होते हैं।