जमशेदपुर. इदारा-ए-शरिया झारखंड के सभी जिलों में दारुल कजा यानि इस्लामिक अदालतें स्थापित करेगी. ताकि मुस्लिम परिवार शरियत की रोशनी में पारिवारिक झगड़ों, जमीन-जायदाद और तलाक के मामलों पर मशविरा दे सकें या मध्यस्थता कर सकें.
मजहबी लोगों में शरिया अदालतें यानि दारुल कजा काफी लोकप्रिय हैं.
दारुल कजा में शरियत के जानकार पांच सदस्य होते हैं और एक काजी होता है. किसी मामले को पंजीकृत किया जाता है और दोनों पक्षों को अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है. काजी की सदारत में सदस्य शरियत की रोशनी में अपनी राय जाहिर करते हैं.
हालांकि हाल ही में इंदोर की एक अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें अदालत ने फैसला दिया कि कोई काजी संवैधानिक न्यायालय की तरह निर्णय या आदेश पारित नहीं कर सकता. काजी विवादों पर मशविरा दे सकते हैं या मध्यस्थता कर सकते हैं.
अब इदारा-ए-शरिया ने झारखंड के सभी जिलों में दारुल कजा खोलने का मन बनाया है. इस समय जमशेदपुर, रांची, धनबाद, दुमका, हजारीबाग, कोडरमा, लोहरदग्गा, राजमहल (साहिबगंज) और बोकारो में दारुल कजा के कार्यालय कार्य कर रहे हैं. संस्था ने अगला लक्ष्य तय किया है कि डाल्टनगंज, गोड्डा, मधुपुर और जामताड़ा में भी मार्च 2022 तक दारुल कजा की शाखाएं खोली जाएंगी.
इदारा-ए-शरिया झारखंड के सह चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी का कहना है कि मुस्लिम समुदाय की मांग पर पर दारुल कजा की शाखाओं का विस्तार करने का निर्णय किया गया है.
जमशेदपुर के शहर काजी मुफ्ती आबिद हुसैन ने कहा कि इससे देश की अदालतों का बोझ भी कम होगा और मुस्लिम समाज के लिए दारुल कजा भरोसेमंद और फायदेमंद भी हैं.