Iconic author Ruskin Bond hospitalised in Dehradun, undergoes treatment after experiencing discomfort in leg
देहरादून (उत्तराखंड)
मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड को पैर में तकलीफ के कारण देहरादून के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फिलहाल उनका मेडिकल देखरेख में इलाज चल रहा है। बॉन्ड के परिवार वालों ने बताया कि रस्किन बॉन्ड का एक पैर कमजोर हो गया है, जिससे उन्हें चलने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने बताया कि अगले कुछ दिनों में उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिलने की उम्मीद है।
19 मई, 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में जन्मे रस्किन बॉन्ड अपनी मनमोहक कहानियों के लिए जाने जाते हैं। कई दशकों में, उन्होंने कई उपन्यास, लघु कथाएँ, निबंध और बच्चों की किताबें लिखी हैं। उनकी लेखन शैली में अक्सर पहाड़ों में बिताए उनके शुरुआती सालों के शांत नज़ारे झलकते हैं। बॉन्ड ने बहुत कम उम्र में, 17 साल की उम्र में अपना पहला उपन्यास, "द रूम ऑन द रूफ" प्रकाशित किया था। इस उपन्यास ने 1957 में प्रतिष्ठित जॉन लेवेलिन राइस पुरस्कार जीता था। वे प्रकृति, छोटे शहरों और बच्चों के प्रति अपने प्रेम के लिए जाने जाते हैं। उनके काम के संग्रह में 500 से ज़्यादा लघु कथाएँ, उपन्यास, निबंध और कविताएँ शामिल हैं।
उनकी लेखन शैली छोटे शहरों में जीवन की कहानियाँ बताने, गहरी भावनाओं वाली कहानियाँ जो पंक्तियों के बीच छिपी होती हैं, पुरानी यादें ताज़ा करने आदि पर केंद्रित है। रस्किन बॉन्ड के कुछ सबसे महत्वपूर्ण कामों में "वैग्रेंट्स इन द वैली", "ए फ्लाइट ऑफ पिजन्स", "द ब्लू अम्ब्रेला" जैसे उपन्यास और निश्चित रूप से, उनका पुरस्कार विजेता पहला उपन्यास, "द रूम ऑन द रूफ" शामिल हैं।
उन्होंने अनगिनत दिल को छू लेने वाली लघु कथाएँ लिखी हैं, जिनमें "द नाइट ट्रेन एट देवली", "टाइम स्टॉप्स एट शामली" और "दिल्ली इज़ नॉट फार" शामिल हैं। उनकी कविताओं और निबंधों, जैसे "रेन इन द माउंटेंस" और "ए बुक ऑफ सिंपल लिविंग" ने भी उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई है। 91 वर्षीय रस्किन बॉन्ड ने अपने प्यारे किरदारों से सभी उम्र के पाठकों को मंत्रमुग्ध किया है। उनकी लेखन शैली सरल, पुरानी यादों से भरी और बहुत प्रभावशाली है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण, जॉन लेवेलिन राइस पुरस्कार और पद्म श्री सहित कई पुरस्कार मिले हैं।