पहली बार सशक्त महसूस कर रहा कश्मीर का गुर्जर समुदाय: गुलाम अली खटाना

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 22-09-2022
पहली बार सशक्त महसूस कर रहा कश्मीर का गुर्जर समुदाय:  गुलाम अली खटाना
पहली बार सशक्त महसूस कर रहा कश्मीर का गुर्जर समुदाय: गुलाम अली खटाना

 

श्रीनगर. केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही में जम्मू से गुर्जर जनजाति के नेता इंजीनियर गुलाम अली खटाना को राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामित किया है. सांबा, कठुआ और जम्मू जिलों की गुर्जर बकरवाल जनजाति इस फैसले का जश्न मना रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बाकी भाजपा नेतृत्व का शुक्रिया अदा कर रही है.

लोगों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा में जम्मू से गुर्जर जनजाति के नेता का प्रतिनिधित्व कर इतिहास रच दिया है. सांबा, कठुआ और जम्मू के मैदानी इलाकों में रहने वाले लाखों गुर्जर बकरवाल जनजातियों को आज तक कोई राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला. पहली बार वे खुद को राजनीतिक रूप से सशक्त मान रहे हैं.

मोहम्मद बशीर चौधरी ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू के मैदानी इलाकों में रहने वाले गुर्जर बकरवाल जनजातियों को राजनीतिक रूप से सशक्त बनाया है, अब वे खुद को सुरक्षित और सशक्त मानते हैं."  वडाबी सेंटर गुर्जर चैरिटेबल ट्रस्ट में गुलाम अली खटाना के सम्मान में भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें आदिवासियों के चेहरे पर अलग खुशी देखी गई.

बता दें, इंजीनियर गुलाम अली खटाना से पहले जम्मू-कश्मीर से केवल एक गुर्जर नेता को राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामित किया गया था. सीमावर्ती जिले पुंछ के सरनाकोट से चौधरी मोहम्मद असलम, जिन्हें ढाई साल के लिए नामांकित किया गया था. 1976 में, आरएस पुरा जम्मू से चौधरी फतेह मोहम्मद को पहली बार जम्मू-कश्मीर विधानमंडल में कांग्रेस द्वारा एमएलसी के रूप में नामित किया गया था और वे 12 साल तक एमएलसी बने रहे. फिर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने हाजी मोहम्मद हुसैन को मजल्टा जम्मू से 12 साल के लिए एमएलसी के रूप में नामित किया. सांबा जिले के मास्टर नूर हुसैन नेशनल कांफ्रेंस के टिकट पर निर्वाचित होकर एमएलसी बने.