नई दिल्ली
एक समृद्ध और समावेशी नीली अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, भारत सरकार ने अनन्य आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में मत्स्य पालन के सतत दोहन के नियमों को अधिसूचित किया है। केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित इस पहल का उद्देश्य अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप द्वीप समूह पर विशेष ध्यान देते हुए, भारत के ईईजेड और उच्च समुद्रों से सतत मत्स्य पालन के लिए एक सक्षम ढाँचा तैयार करना है।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि नए ईईजेड नियम गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के संचालन और तकनीकी रूप से उन्नत जहाजों के प्रबंधन के लिए मछुआरा सहकारी समितियों और मत्स्यपालक उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ) को प्राथमिकता देते हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस पहल का उद्देश्य मूल्यवर्धन, पता लगाने की क्षमता और प्रमाणन को बढ़ावा देकर समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा देना है, साथ ही स्थिरता सुनिश्चित करना है।
एक प्रमुख विशेषता "माँ और बच्चे" पोत अवधारणा की शुरुआत है, जो भारतीय रिज़र्व बैंक के नियमों के अनुरूप कड़ी निगरानी में समुद्र के बीच में ट्रांसशिपमेंट की अनुमति देगी। इस प्रणाली से उच्च गुणवत्ता वाली मछलियों के निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, खासकर उन द्वीपीय क्षेत्रों से जो भारत के ईईजेड क्षेत्र का लगभग आधा हिस्सा हैं।
मछुआरों और उनकी सहकारी समितियों का समर्थन करने के लिए, सरकार प्रशिक्षण, अंतर्राष्ट्रीय अनुभव यात्राओं और मूल्य श्रृंखला में क्षमता निर्माण पहलों के माध्यम से सहायता प्रदान करेगी - जिसमें प्रसंस्करण, ब्रांडिंग और विपणन शामिल हैं। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ) जैसी प्रमुख योजनाओं के माध्यम से ऋण सुविधा प्रदान की जाएगी।
ये नियम समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा के लिए एलईडी लाइट फिशिंग, पेयर ट्रॉलिंग और बुल ट्रॉलिंग जैसी हानिकारक मछली पकड़ने की प्रथाओं पर सख्ती से प्रतिबंध लगाते हैं। घटते मछली भंडार को बहाल करने के लिए न्यूनतम कानूनी मछली आकार और मत्स्य प्रबंधन योजनाएँ शुरू की जाएँगी। समुद्री पिंजरा खेती और समुद्री शैवाल की खेती जैसी समुद्री कृषि गतिविधियों को वैकल्पिक आजीविका के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा ताकि निकटवर्ती मछली पकड़ने पर दबाव कम किया जा सके।
मशीनीकृत जहाजों के लिए रीएएलसीआरएएफटी पोर्टल के माध्यम से एक पूर्णतः डिजिटल एक्सेस पास प्रणाली शुरू की गई है, जिससे पारदर्शिता और संचालन में आसानी सुनिश्चित होगी। एमपीईडीए और ईआईसी के साथ एकीकरण से वैश्विक समुद्री खाद्य निर्यात के लिए पता लगाने और पर्यावरण-लेबलिंग में सुविधा होगी।
इसके अतिरिक्त, ये नियम भारतीय ईईजेड में पकड़ी गई मछलियों को भारतीय मूल की मछलियों के रूप में वर्गीकृत करने के लिए नियामक सुधार प्रस्तुत करते हैं और समुद्री सुरक्षा तथा तटीय सुरक्षा बढ़ाने के लिए ट्रांसपोंडर और क्यूआर-कोडेड पहचान पत्र अनिवार्य करते हैं, जिससे राष्ट्रीय जल की सुरक्षा में भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल जैसी प्रवर्तन एजेंसियों को सहायता मिलती है।