राकेश चौरासिया / कानपुर-नई दिल्ली
होली और शब-ए-बरात की सबसे खूबसूरत खबर कानपुर से आई है. यहां एक ही कब्रिस्तान में हिंदुओं और मुस्लिमों ने अपने-अपने पर्वों को पूरी श्रद्धा और आस्था से मनाया.
जब होली और शब-ए-बरात को लेकर पूरे देश में संशय था और जिला प्रशासन किसी अनहोनी की आशंका से डूबे हुए थे.
उप्र के शाहजहांपुर में तो प्रशासन ने इस बार मशहूर ‘जूतों की होली’ के आयोजन के लिए शहर की कई मस्जिदों को प्लास्टिक शीट से ढंकवा दिया था. ताकि लोग बरतानिया हुकूमत के प्रतीक ‘लाट साहब’ को जूते मार सकें.
ऐसे में कानपुर खबर न केवल सुकून देने वाली है, बल्कि यह भारत की शताब्दियों पुरानी गंगा-जमुनी तहजीब को दर्शाती है.
दोनों पर्व पूरे देश में हंसी-खुशी से मनाए गए और कहीं से विशेष अप्रिय समाचार नहीं मिला, जबकि कानपुर के वाशिंदों ने तो सोने पर सुहागा कर दिया.
यहां के चकरनगर इलाके में इन पर्वों पर अद्भुत मिसाल पेश की गई.
चकरनगर के कब्रिस्तान में हिंदू और मुस्लिम इकट्ठे हुए. दोनों समुदायों ने मिलकर त्योहार मनाने का फैसला किया था. कब्रिस्तान के एक कोने में रात को हिंदुओं ने होलिका सजाई, उसका पूजन किया और उसका दहन किया. तो दूसरे कोने पर मुस्लिम भाईयों ने अपने पूर्वजों की याद में उनकी कब्रों को रोशन किया और अगरबत्ती जलाईं. पुरखों की याद में इबादत के साथ अन्य रस्में पूरी कीं.
दोनों ही धार्मिक अनुष्ठान शांतिपूर्वक संपन्न हुए. कहीं कोई विघ्न और बाधा न आई. फिर दोनों समुदायों के लोग गले भी मिले.
हिंदुओं ने सोल्लास होली मनाई और ढोल-मजीरों की थाप पर फगवा गाए. एक-दूसरे को गुलाल लगाया. धुलेंडी के दिन गुजिया और अन्य पकवानों की दावतें हुईं.
उधर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अकीदत के साथ शब-ए-बरात का पर्व मनाया. बच्चों ने पटाखे भी चलाए. अकीदतमंदों ने पूरी रात अल्लाह की इबादत में गुजारी. उन्होंने इबादत कर नेकी और बरकत की दुआ मांगी.
घरों में मुस्लिम धर्मावलंबियों ने कुरआन की तिलावत भी की.
यहां के हिंदुओं ने बताया कि स्थान के अभाव में ही पहले की तरह कब्रिस्तान में होली जलाने का निर्णय किया गया था. इस बारे में मुस्लिम समाज के लोगों को सूचित कर दिया गया था, जिन्होंने इस तजबीज को सहर्ष स्वीकार कर लिया.
जबकि क्षेत्र के मुस्लिमों का कहना है कि जब हमें साथ-साथ रहना है, तो हम साथ-साथ त्यौहार क्यों नहीं मना सकते? हमारी भारतीय संस्कृति की यही विशेषता है कि हम एक-दूसरे के सुख-दुख में एकसाथ शरीक होते हैं.