MGNREGA सुधारों के खिलाफ किसान मजदूर मोर्चा का पंजाब में व्यापक विरोध

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 24-12-2025
Farmers and laborers' front stages widespread protests in Punjab against MGNREGA reforms.
Farmers and laborers' front stages widespread protests in Punjab against MGNREGA reforms.

 

अमृतसर

किसान मजदूर मोर्चा भारत ने मोदी सरकार द्वारा हाल ही में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) में किए गए सुधारों की कड़ी आलोचना की है। मोर्चा का आरोप है कि ये नीतियाँ देशभर में MGNREGA मजदूरों को रोजगार से वंचित करने और स्थानीय शासन संस्थानों की शक्तियों को केंद्रीयकृत करने की दिशा में हैं।

मोर्चा ने कहा कि केंद्र ने MGNREGA के लिए फंडिंग में लगभग 40 प्रतिशत कटौती कर दी है। साथ ही, पंचायतों और राज्य सरकार के संस्थानों, विशेषकर जिला विकास एवं परियोजना कार्यालयों (DDPO) की पहले से दी गई शक्तियाँ अब छीनी जा रही हैं। इसके परिणामस्वरूप निर्णय लेने की शक्ति केंद्र में केंद्रीकृत हो गई है कि कौन सा काम मंजूर होगा और कौन मजदूरों को रोजगार मिलेगा। मोर्चा ने यह भी आरोप लगाया कि MGNREGA के तहत किए जाने वाले कई श्रेणीबद्ध कार्यों को घटाया जा रहा है।

पंजाब में लगभग 11-12 लाख जॉब कार्ड हैं, जबकि पूरे भारत में करीब 12 करोड़ लोग MGNREGA पर निर्भर हैं। मोर्चा का आरोप है कि केंद्र की यह नीति मजदूरों को बेरोजगार कर कॉरपोरेट घरानों के लिए सस्ते मजदूर उपलब्ध कराने का प्रयास है। विरोध स्वरूप, मोर्चा ने घोषणा की कि 29 दिसंबर को पंजाब के जिला मुख्यालयों पर मोदी सरकार की effigy जलाकर प्रदर्शन किया जाएगा।

मोर्चा ने MGNREGA को पहले जैसी स्थिति में बहाल करने, वार्षिक गारंटी वाले कार्य को 200 दिन तक बढ़ाने और प्रतिदिन मजदूरी को 700 रुपये करने की मांग की। साथ ही, केंद्र द्वारा लागू किए गए चार श्रम कोडों का भी विरोध किया और कहा कि ये श्रमिकों के अधिकारों को कमजोर करते हैं। मोर्चा ने स्पष्ट किया कि जब तक मजदूरों और कामगारों के अधिकार पूरी तरह सुरक्षित नहीं होंगे, उनका संघर्ष जारी रहेगा।

तमिलनाडु में भी डीएमके नेतृत्व वाली सरकार ने VB-G RAM G अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें गांधी की विचारधारा और MGNREGA के महत्व पर जोर दिया गया। वीकेसी अध्यक्ष थोल. थिरुमावलवन ने कहा कि केंद्र सरकार गांधी नाम हटाकर देश के महत्वपूर्ण सामाजिक कल्याण कार्यक्रम को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।

नए संशोधित बिल के अनुसार, प्रत्येक ग्रामीण परिवार को वार्षिक 125 दिन का रोजगार गारंटी मिलेगा। केंद्र और राज्यों के बीच फंड शेयरिंग 60:40 होगी, जबकि हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह 90:10 होगा। राज्य सरकारें वित्तीय वर्ष में कृषि के पीक सीजन के दौरान 60 दिन तक पहले से सूचित अवधि घोषित कर सकती हैं।