असम में बेदखली और विध्वंस पर रोक लगाई जाए: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 17-07-2025
Eviction and demolition should be stopped in Assam: Demand of Vice President of Jamaat-e-Islami Hind
Eviction and demolition should be stopped in Assam: Demand of Vice President of Jamaat-e-Islami Hind

 

नई दिल्ली

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने असम में चल रही बड़े पैमाने की तोड़फोड़ और बेदखली की कार्रवाइयों पर गहरा दुख और नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि इन कार्रवाइयों के कारण हजारों बंगाली मूल के मुस्लिम परिवार बेघर हो गए हैं और धर्म व समुदाय से जुड़े कई अहम ढांचे को नुकसान पहुंचाया गया है।

मीडिया को जारी बयान में उन्होंने कहा, “जून-जुलाई 2025 के दौरान केवल ग्वालपाड़ा जिले में लगभग 4,000 घरों को ध्वस्त करने की तैयारी है। पंचरत्न, कुर्शापाखरी, बंदरमाथा और अंग्तिहारा-गौरनगर में तोड़फोड़ की खबरें सामने आ चुकी हैं। प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार ग्वालपाड़ा, धुबरी और नलबाड़ी जिलों में हालिया और जारी अभियानों में 8,000 से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं। कम से कम 20 मस्जिदें, 40 से अधिक मकतब/मदरसे और कई ईदगाहें क्षतिग्रस्त या नष्ट कर दी गई हैं।”

उन्होंने कहा कि नदी के कटाव और प्रशासनिक लापरवाही से पहले ही प्रभावित इन इलाकों के लिए यह कार्रवाई एक और बड़ा झटका है। “यह कदम मानवता, संवैधानिकता और न्यायिक प्रक्रिया के हर सिद्धांत का उल्लंघन है।”

मोतसिम खान ने आरोप लगाया कि 70-80 वर्षों से जमीनों पर रह रहे नागरिकों, जिनके पास मतदाता पहचान पत्र, आधार और अन्य दस्तावेज हैं, उनके घरों को बिना पूर्व सूचना के तोड़ा जा रहा है। मुस्लिम बहुल बस्तियों को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाना, जबकि अन्य समुदायों की बस्तियों को अछूता छोड़ना, गंभीर सांप्रदायिक पूर्वाग्रह को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई न केवल प्रक्रियागत खामी से भरी है, बल्कि निजी और औद्योगिक हितों के लिए की जा रही है।

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की मुख्य मांगें

  1. सभी बेदखली और विध्वंस की कार्रवाइयों को तत्काल रोका जाए जब तक पारदर्शी समीक्षा नहीं हो जाती।

  2. मानवीय राहत: जिला प्रशासन के माध्यम से भोजन, शिशु आहार, दवाइयां, तिरपाल, स्वच्छ पानी और स्वच्छता की तत्काल व्यवस्था।

  3. पुनर्वास और मुआवजा: सभी विस्थापित परिवारों के लिए समयबद्ध पुनर्वास और उचित मुआवजा; असम में उपलब्ध सरकारी भूमि पर पात्र भूमिहीनों को बसाना।

  4. स्वतंत्र जांच आयोग का गठन: अतीत और वर्तमान अभियानों में वैधता और कथित सांप्रदायिक प्रोफाइलिंग की जांच, और रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।

  5. धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण: मस्जिदों, मदरसों और ईदगाहों की मरम्मत स्थानीय समुदाय के परामर्श से।

  6. कानूनी प्रक्रिया का पालन: पूर्व सूचना, सुनवाई का अवसर, निष्कासन से पहले पुनर्वास और अदालत के आदेशों का अनुपालन।

उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, अल्पसंख्यक आयोग और संसदीय समितियों से तत्काल फैक्ट-फाइंडिंग मिशन शुरू करने और जिम्मेदारी तय करने की अपील की।

मलिक मोतसिम खान ने कहा,“जब बुलडोजर शासन का प्रतीक बन जाते हैं, तब लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों की हार होती है। राज्य का दायित्व पुनर्वास और कानून का पालन है, न कि कमजोर नागरिकों को सामूहिक दंड देना।”