भावुकता और बेवजह की प्रतिक्रियाएं देश के विनाश की निशानी हैंः मौलाना महमूद मदनी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 1 Years ago
भावुकता और बेवजह की प्रतिक्रियाएं देश के विनाश की निशानी हैंः मौलाना महमूद मदनी
भावुकता और बेवजह की प्रतिक्रियाएं देश के विनाश की निशानी हैंः मौलाना महमूद मदनी

 

आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली

जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने भावुकता और अनावश्यक प्रतिक्रिया को किसी भी राष्ट्र के विनाश का संकेत बताया. उन्होंने कहा कि कार्रवाई की जरूरत है, प्रतिक्रिया की नहीं. साथ ही भविष्य की स्थितियों के बारे में जागरूकता लाने और उसके अनुसार एहतियाती कदम उठाने की जरूरत है. इस संबंध में, उन्होंने कहा कि यूक्रेन का उदाहरण है कि यूक्रेन दुनिया को गेहूं की आपूर्ति करता है, रूस ने उसके तटीय क्षेत्रों पर हमला किया और विनाश किया. आज नहीं, बल्कि अगले साल के अंत तक दुनिया को खाद्य संकट का सामना करना पड़ेगा. इसे खत्म करने के लिए पहले से ही प्लानिंग की जा रही है, ताकि एक साल बाद ऐसी स्थिति न आए. यह संयुक्त राष्ट्र का तरीका है और यह दुनिया के सभी विकसित संगठनों और राष्ट्रों का तरीका है.

जमीयत उलेमा बिहार द्वारा आलमगंज, पटना में एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं परामर्श बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें राज्य भर से जमीयत उलेमा बिहार के दो सौ से अधिक जिला पदाधिकारियों ने भाग लिया. बैठक में जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने मुख्य भाषण दिया. बैठक की अध्यक्षता जमीयत उलेमा बिहार के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती जावेद इकबाल कासमी ने की, जबकि निजामत के कर्तव्यों का पालन जमीयत उलेमा बिहार के महासचिव मौलाना मुहम्मद नाजिम ने किया.

मौलाना महमूद मदनी ने जमीयत के कार्यकर्ताओं को मौजूदा हालात में कार्रवाई के क्षेत्र में प्रवेश करने और अधिक सक्रियता से काम करने और (2) संगठन और (3) अपने काम में निरंतरता के गुणों को विकसित करने का स्पष्ट निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि आज हमारी नई पीढ़ी के विश्वास की रक्षा करने का समय है, बड़ी संख्या में लोग धर्मत्याग के शिकार हो रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से हम इससे बेखबर हैं.

उन्होंने कहा कि किसी की मौत पर आंसू आना स्वाभाविक है, लेकिन अगर कोई जिंदा रहते हुए विश्वास छोड़ दे, तो यह मौत से भी बदतर है. इसलिए मुझे लगता है कि सबसे बड़ा और सबसे बुनियादी काम बच्चों को शिक्षित करना और उनकी आस्था की रक्षा करना है. उन्होंने कहा कि यदि आप स्थिति को नहीं समझ रहे हैं और स्थिति की असंगति के बावजूद स्थिति को बदलने का इरादा नहीं कर रहे हैं, तो कोई और क्या कर सकता है.

उन्होंने कहा कि कुछ लोग देश के विभाजन के विरोध को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं और कुछ लोग बड़े सम्मान के साथ कहते हैं कि हमारे विद्वानों को भुला दिया गया है और सादगी से मार दिया गया है. जबकि दुनिया के जिन प्रमुख विद्वानों ने भारत पर शोध किया है, उनमें से एक मलेशिया का विद्वान है, उसने भारत की स्वतंत्रता और विभाजन पर एक पेपर तैयार किया है, उसने एक बैठक में कहा कि यदि विभाजन नहीं होता, तो भारत के मुसलमान पूरी दुनिया को नेतृत्व प्रदान करने की स्थिति में होते और यहां का मुसलमान दुनिया के मुसलमानों का मार्गदर्शन कर रहा होता.

उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को सलाह दी कि वे जमीयत के लिए दिन में कम से कम दो घंटे समर्पित करें, इससे देश को बहुत फायदा होगा. उन्होंने कहा कि पहले हमें खुद को बदलना होगा, क्योंकि बदलाव का काम खुद से शुरू होता है, अगर हम थोड़ा भी बदलते हैं तो यह हमारी सफलता है. उन्होंने युवाओं को जमीयत उलेमा हिंद से जोड़ने की जरूरत पर जोर दिया.

मौलाना मदनी ने धार्मिक मदरसों को सरकारी बोर्ड से जोड़ने का विरोध करते हुए कहा कि सरकार ने असम में अरबों मदरसों की संपत्ति जब्त कर ली है. उन्होंने विशेष रूप से बिहार के लोगों से अपने मदरसों को मुक्त रखने की अपील की. बिहार की धरती में दुनिया को नेतृत्व देने की क्षमता है, बिहार की जनता इसे समझे, तो दुनिया इससे सीख लेगी.

इस मौके पर अपने विशेष संबोधन में जमीयत उलेमा हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि अल्लाह की खुशियों को पाने का सबसे अच्छा जरिया अच्छा व्यवहार है. उन्होंने मुसलमानों को अल्लाह के बंदों के साथ दयालु व्यवहार करने और मानवीय सेवा को अपना मिशन बनाने का आह्वान किया. उन्होंने जमीयत उलेमा हिंद की विभिन्न गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला.

इनके अलावा प्रसिद्ध प्रेरक मौलाना साजिद फलाही ने एक प्रस्तुति के माध्यम से झुंड खुफिया पर प्रकाश डाला, बिहार की राजनीतिक स्थिति और मतदान और पंजीकरण प्रक्रिया पर सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी यू नासिर अहमद, मौलाना खालिद, मौलाना मुअज्जम आरिफी, इस्लाह मेसहरा, मौलाना अजीमुल्लाह कासमी ने इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने पर प्रस्तुतियाँ प्रस्तुत कीं.

जमीयत उलेमा बिहार के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती जावेद इकबाल कासमी ने अपने समापन भाषण में लोगों से पार्टी आंदोलन से ईमानदारी से जुड़ने की अपील की. अंत में जमीयत उलेमा किशनगंज के अध्यक्ष मौलाना गयासुद्दीन कासमी की दुआ के साथ सभा समाप्त हुई. इस मौके पर धार्मिक शिक्षा बोर्ड जमीयत उलेमा बिहार के अध्यक्ष मौलाना रिजवान कासमी, मदरसा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और जमीयत उलेमा बिहार के अध्यक्ष मौलाना डॉ. एजाज कासमी, विधायक इजहार आसफी, एमएलसी खालिद अनवर, इंजीनियर आफता बी. आलम, जमीयत उलेमा बिहार के उपाध्यक्ष, मौलाना आसिफ जमील, जमीयत उलेमा बिहार के सचिव, मौलाना अतहर कासमी, जमीयत उलेमा बिहार के उपाध्यक्ष सहित पूरे राज्य के जमीयत उलेमा बिहार के अन्य महत्वपूर्ण अधिकारियों ने भाग लिया.