उदीयमान भारत: 1947 में स्वतंत्र हुआ, अब गणराज्य के रूप में विकासशील

Story by  जे के त्रिपाठी | Published by  onikamaheshwari | Date 14-09-2023
Emerging India: India became independent in 1947 and is now developing as a republic.
Emerging India: India became independent in 1947 and is now developing as a republic.

 

जेके त्रिपाठी

भारत का इतिहास बहुत पुराना है. इसके सहस्त्राब्दियों पुराने अस्तित्व में कई उतार चढ़ाव आए. सिकंदर से ले कर कई विदेशी आक्रांताओं ने समय- समय पर भारत पर आक्रमण किया और कई ने तो यहाँ अपने साम्राज्य भी स्थापित किए. इन्हीं उतार चढ़ावों से गुज़रता हुआ देश अंततः 1947 में स्वतंत्र हुआ और अब गणराज्य के रूप में विकासशील है. 

विगत 76 वर्षों में देश ने तीन युद्ध, एक आपात्काल, खाद्य संकट, निरंतर चलने वाला सीमा विवाद और विकसित देशों के शीतयुद्ध की कूटनीति के परिणाम भी देखे तथा एक दो बार पड़ोसियों के प्रति अपनी लापरवाह विदेश नीति का खामियाज़ा कश्मीर समस्या और चीन के साथ संघर्ष में हार के रूप में भुगता. 

इन्हीं सफलताओं -असफलताओं से गुज़रता हुआ भारत अंततः पिछले नौ वर्षों में ऐसे मुकाम पर पहुंचा है जहाँ से सिर्फ आगे जाने का, प्रगति का ही रास्ता है, असफलता का नहीं.

किसी भी क्षेत्र की बात करें, देश की प्रगति पिछले नौ वर्षों में अभूतपूर्व रही है. विदेश नीति की बात की जाए तो भले ही हमारी नीति में मूलभूत परिवर्तन नहीं आया हो (क्योंकि किसी भी विदेश नीति का आधार राष्ट्रीय हित होता है जो लोकतंत्र में नहीं बदला करता), किन्तु विदेश नीति को संचालित करने के उपकरण अब बदल गए हैं, उनमे नई धार आ गयी है, परिणामस्वरूप विदेश नीति अब अधिक प्रखर, अधिक स्पष्ट तथा अधिक तर्कसंगत हो गयी है. 

पहले पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ नियमित विष- वमन पर हम आत्मरक्षात्मक हो जाते थे, अब हम दुनिया को न सिर्फ यह समझाने में सफल हुए हैं कि कश्मीर की समस्या पाकिस्तान का प्रोपेगैंडा है, बल्कि पाकिस्तान में हो रहे मानवाधिकारों के हनन और सेना द्वारा किए जा रहे दमन को भी दुनिया के सामने उजागर करने में सफल हुए हैं. 

इतना ही नहीं, हमने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करके और शांति बहाल करके यह दिखा दिया है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और पूर्ण रूप से भारत के संविधान से ही नियंत्रित होता है. 

श्रीनगर में जी-20 की एक सफल बैठक से भी यह सिद्ध हो गया है कि घाटी की जनता शांतिपूर्ण विकास चाहती है, न कि पाकिस्तानी दुष्प्रचार और प्रायोजित आतंकवाद से भ्रमित होना. 

पाकिस्तान को एक स्पष्ट सन्देश भी दे दिया गया है कि उसका "मुंह में राम, बगल में छुरी" वाला रुख भारत के सामने नहीं चल सकता. 

आज स्थिति यह है कि इमरान खान से ले कर पाकिस्तानी जनता तक भारत सरकार की नीतियों की तारीफ कर रही है और भारत से रिश्ते बहाल करने की मांग पाक मीडिया पर प्रतिदिन सुनाई देने लगी है. 

चीन को ज़वाब देने के लिए सीमा तक सुगम पहुँच आवश्यक है जो बिना सड़क मार्ग के संभव नहीं है. याद रहे कि 2014 से पहले किसी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया हालाँकि 1962 में चीन से हमारी हार का एक प्रमुख कारण था भारतीय सैनिकों को सीमा चौकियों तक पहुँचने में हुई भारी असुविधा. 

जहां 2008 से 2014 तक हमने सिर्फ 3610 किमी लम्बी सीमा सड़कें बनाई, वहीं 2014 से 2022 तक के बीच 6804 किमी सड़कों का निर्माण हुआ.

वर्त्तमान सरकार द्वारा सीमा सडकों पर दी गयी प्राथमिकता का अंदाज़ इसी से लगाया जा सकता है कि 2013 के बजट में सीमा -सड़क विस्तार पर किए गए 3782 करोड़ रु. के प्रावधान की तुलना में वर्तमान सरकार ने 2023 -24 में 14,387 करोड़ रु. का प्रावधान रखा है.

इसके अतिरिक्त रफाएल जैसे उन्नत किस्म के जहाज़ों की खरीद, लड़ाकू वायुयान - वाहक जहाज़ और पनडुब्बियों का निर्माण, ऍफ़-16 विमानों के इंजन के भारत निर्माण के समझौते ने हमारी सामरिक शक्ति को एक ऐसी उछाल दी है जो चीन और पाकिस्तान को हमारी सीमाओं के अतिक्रमण से रोकने के लिए पर्याप्त है.

आज भारत महज़ एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं रह गया है, बल्कि एक विश्व- शक्ति के रूप में उभर रहा है, जिसकी बात अब अधिक गंभीरता से सुनी जाती है.

रूस- यूक्रेन संघर्ष के दौरान हमारा रुख श्लाघ्य रहा है. रूस से एस- 400 मिसाइल विरोधी सिस्टम लेने के अपराध में जहां अमेरिका ने नाटो के सदस्य तुर्किये पर प्रतिबन्ध लगा दिया, वहीँ भारत द्वारा इस सिस्टम के बाद रूस से तेल का आयात बढ़ाने पर भी अमेरिका हमारा कुछ नहीं कर पाया, क्योंकि हम इस्राइल- फिलिस्तीन की भांति यहाँ भी नाटो और रूस, दोनों को समझाने में सफल रहे कि हमारे एक पक्ष के साथ रिश्ते दूसरे पक्ष के साथ रिश्तों से अलग धरातल पर स्थित हैं और हमारी अपनी प्राथमिकताओं पर आधारित हैं.

जी-20 की अध्यक्षता के वर्तमान वर्ष में कमज़ोर और निर्धन देशों की समस्याओं को चिन्हित करके उन पर 230 से अधिक सफल बैठकों का आयोजन करके हमने दिखा दिया है कि भारत में ग्लोबल साउथ ( निर्धन देशों का समूह ) की आवाज़ बनने की न केवल इच्छा है बल्कि पूरी प्रतिबद्धता और क्षमता भी है.

स्वास्थ्य, विज्ञान तथा तकनीक केक्षेत्र में भी हमने पिछले आठ -नौ वर्षों में काफी प्रगति की है. नए आधुनिक चिकित्सा संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों की स्थापना, महामारी के दौरान कोविड टीकों का निर्माण ही नहींबल्कि पूरी दुनिया में वितरण और सभी देशों को सदैव चिकित्सकीय सहायता की हमारी तैयारी ने भारत को न केवल संसार की फार्मेसी बना दिया है, बल्कि हमारी नेकनीयती को भी प्रकट किया है. 

विज्ञान के क्षेत्र में तो हमने चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सर्वप्रथम पहुँच कर नया इतिहास रच दिया. हमारा मंगल -यान अभी गतिशील है और सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य-1 शीघ्र ही प्रक्षेपित किया जाने वाला है. 

तकनीकी क्षेत्र में हाइड्रोज़न से चलने वाले वाहनों, बिजली के वाहनों में लिथियम बैटरियों के बजाय सस्ते और सुलभ सोडियम बैटरियों का प्राथमिक प्रयोग करके हमने तकनीकी क्रांति को जन्म दिया है.

लगभग सभी प्रकार की उच्च इलेक्ट्रॉनिक मशीनों, रक्षा उपकरणों, वाहनों अदि में प्रयुक्त होने वाले सेमी- कंडक्टर चिप का भारत में निर्जन करने की सरकार की फैसले से हम इस क्षेत्र में भी न केवल आत्मनिर्भर हो जाएंगे अपितु बड़े निर्यातक की रूप में भी उभरेंगे.

आवागमन के लिए तीव्रगामी गाड़ियों, माल परिवहन की लिए बड़े पैमाने पर नए राजमार्गों के निर्माण और वर्तमान सड़कों के विस्तार से कृषि और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा. 

जितनी सड़कें स्वतंत्र भारत के पहले साथ साल में बनी थीं, उससे कहीं अधिक सड़कें पिछले आठ वर्षों में बना दी गईं. घरेलू नीतियों में भी एक बड़ा बदलाव लाया गया है. किसानों,गृहणियों,ग़रीबों के लिए कई लाभकारी योजनाओं की शुरुआत की गयी है.

लड़कियों के लिए शिक्षा, विवाह के लिए सहायता, किसानों के लिए कृषि सुरक्षा बीमा और किसान निधि, गृहणियों के लिए उज्ज्वला योजना, ग़रीबों के लिए प्रधान मंत्री आवास योजना तथा वृद्धों और युवाओं के लिए भी शुरू की गयी योजनाओं के बारे में आज से दस वर्ष पूर्व कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था.

आर्थिक मोर्चे पर देखें तो भारत विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है; विदेशी मुद्रा भण्डार, जो 2013 में 270 अरब अमेरिकी डॉलर था, अब 600 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर चुका है और प्रति व्यक्ति आय 2389 डॉलर पर आ पहुँची है.

यह स्पष्टतः राइजिंग इंडिया या उदीयमान भारत का संकेत है. वर्तमान सरकार की कार्यशैली और इन जनहितकारी योजनाओं से यही परिलक्षित होता है कि यदि किसी सरकार की नीति और नीयत, दोनों साफ़ हो तथा जनहित के लिए अडिग प्रतिबद्धता हो तो देश के विकास कठिन नहीं है.

लेखक पूर्व राजदूत हैं