जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी समूहों के लिए ड्रोन बने नए ‘ओवरग्राउंड वर्कर्स’

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 16-07-2025
Drones become the new 'overground workers' for terrorist groups in Jammu and Kashmir
Drones become the new 'overground workers' for terrorist groups in Jammu and Kashmir

 

श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी समूह अब ड्रोन का इस्तेमाल नए ‘ओवरग्राउंड वर्कर्स’ (ओजीडब्ल्यू) की तरह कर रहे हैं, जिससे सुरक्षा एजेंसियों में गंभीर चिंता पैदा हो गई है। मानव नेटवर्क पर निर्भरता कम होने के कारण आतंकवादी अब निगरानी और रसद के लिए ड्रोन का सहारा ले रहे हैं, जो क्षेत्र की सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती बन गया है।

अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव के चलते मानव नेटवर्क कमजोर पड़ गया है क्योंकि कई ओजीडब्ल्यू गिरफ्तार या छिप गए हैं। इसी कारण आतंकवादी ड्रोन तकनीक को अपनी रणनीति का अहम हिस्सा बना रहे हैं।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भी नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार आतंकवादियों को पहुंचाने के लिए ड्रोन का अधिक इस्तेमाल कर रही है। कश्मीर, किश्तवाड़ और राजौरी के ऊंचे इलाकों में आतंकवादी सैनिकों की निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं, जिससे आतंकवाद-रोधी अभियानों की सफलता प्रभावित हुई है।

कुछ मामलों में ड्रोन के जरिए जम्मू क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में आतंकवादियों तक सूखा राशन भी पहुंचाया जा रहा है।

ड्रोन का आतंकवादी इस्तेमाल पहली बार 27 जून 2021 को जम्मू हवाई अड्डे पर हुआ था, जब दो ड्रोन इमारतों से टकराए थे। इससे पहले ड्रोन का उपयोग नशीली दवाओं की तस्करी और पंजाब में हथियार गिराने के लिए होता था, जो बाद में सीधे हमलों के लिए इस्तेमाल किए जाने लगे।

आईएसआई ड्रोन तकनीक का उपयोग सीमा पर सैनिकों की स्थिति की निगरानी, कमजोरियों की पहचान और आतंकवादियों को सीमा पार कराने में कर रही है। इस साल मई में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के वरिष्ठ आतंकवादियों ने बैठक की, जिसमें ड्रोन निगरानी के महत्व पर जोर दिया गया।

आतंकवादी घुसपैठ के रास्तों को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने के लिए स्थानीय लोगों को सक्रिय गाइड के रूप में तैनात करने की योजना बना रहे हैं। आईएसआई पीओके में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को स्थानांतरित करने और भूमिगत बंकर बनाने की भी तैयारी कर रही है।

यह योजना भारतीय वायु सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जवाब मानी जा रही है, जिसमें मई में पीओके और पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया था।ड्रोन तकनीक के बढ़ते उपयोग ने वैश्विक आतंकवाद के नए खतरों को जन्म दिया है। आतंकवादी अब यूएवी का उपयोग खुफिया जानकारी जुटाने, विस्फोटक पहुंचाने और हमले करने के लिए कर रहे हैं।

अमेरिका के ‘एसोसिएशन ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी’ (एयूएसए) की रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादी ड्रोन तकनीक को तेजी से अपना रहे हैं और इससे आतंकवाद-रोधी अभियानों को अंजाम देना और भी कठिन हो गया है।

पहली बार इस्लामिक स्टेट ने इराक के मोसुल में ड्रोन का इस्तेमाल सैन्य अभियानों के दौरान किया था, जहां उन्होंने टोही और बम गिराने दोनों के लिए यूएवी का उपयोग किया।

अधिकारियों के अनुसार आतंकवादी लगातार नई तकनीक सीख रहे हैं और अपनी रणनीतियों को अपडेट कर रहे हैं। ड्रोन तकनीक की तेजी से बढ़ती पहुंच आतंकवादी संगठनों को नए हथियार और हमले के तरीके उपलब्ध करा रही है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों के लिए स्थिति और जटिल होती जा रही है।