समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने संसद मार्ग स्थित मस्जिद में पार्टी की बैठक होने के दावे को खारिज करते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है। बुधवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वहां कोई बैठक नहीं चल रही थी और बीजेपी की मंशा हमेशा से ही लोगों को भ्रमित करने की रही है। उन्होंने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि सरकार बिहार में चल रहे विशेष तीव्र पुनरीक्षण (SIR), ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले जैसे अहम मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है। डिंपल यादव ने कहा कि यह सरकार इन महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा से बच रही है।
वहीं इस पूरे विवाद पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आस्था जोड़ने का काम करती है और बीजेपी धर्म का इस्तेमाल लोगों को बांटने के लिए करती है। अखिलेश ने कहा कि जो भी धर्म या आस्था लोगों को जोड़ती है, वह महत्वपूर्ण है और समाजवादी पार्टी ऐसे सभी प्रयासों का समर्थन करती है जो विश्वास और एकता को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह लोगों को एकजुट नहीं बल्कि बंटा हुआ देखना चाहती है और उनका सबसे बड़ा औजार धर्म है।
इस बीच उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए उन्हें "नमाज़वादी" कहा और आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी संविधान का पालन नहीं करती। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान धार्मिक स्थलों के राजनीतिक उपयोग की अनुमति नहीं देता और समाजवादी पार्टी बार-बार इस नियम का उल्लंघन करती है। पाठक ने कहा कि उन्हें संविधान में विश्वास नहीं है और वे बार-बार धार्मिक स्थलों का राजनीतिकरण करते हैं।
इस पर पलटवार करते हुए समाजवादी पार्टी सांसद राजीव राय ने कहा कि क्या अब मंदिर और मस्जिद में जाने के लिए बीजेपी से अनुमति लेनी पड़ेगी? उन्होंने तंज कसा कि क्या बीजेपी नेताओं की तस्वीरें और वीडियो वायरल किए जाएं? राजीव राय ने आरोप लगाया कि बीजेपी अपने नेताओं से जुड़े वायरल वीडियो और फोटो पर कुछ नहीं कहती, लेकिन दूसरों पर सवाल उठाती है।