Demand for flexible workspaces growing with expansion of global capability centres: Report
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
देश में वैश्विक क्षमता केंद्रों की बढ़ती मांग के साथ लचीली यानी जरूरत के हिसाब से बदलाव वाले कार्य स्थलों की मांग बढ़ रही है और 2028 तक इसके बाजार के नौ से 10 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। शनिवार को जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
उद्यमों के लिए तकनीक से लैस और पूरी तरह से प्रबंधित कार्यालय परिसर प्रदान करने वाली स्मार्टवर्क्स कोवर्किंग स्पेसेज लिमिटेड और परामर्श कंपनी अनअर्थआईक्यू की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के तेजी से विस्तार के साथ भारत का ‘फ्लेक्स स्पेस’ (लचीली और प्रबंधित कार्य स्थल) उद्योग तेजी से वृद्धि कर रहा है और एक अनुमान के मुताबिक 2028 तक यह बाजार बढ़कर नौ से 10 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो वर्तमान में तीन से चार अरब डॉलर का है।’’
एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक जीसीसी को 16 से 20 करोड़ वर्ग फुट कार्यालय स्थान की आवश्यकता होगी, जिसमें से 6.5 से 8.0 करोड़ वर्ग फुट (लगभग आधा) ‘फ्लेक्स’ कार्यक्षेत्र पूरा करेंगे।
देश में वर्तमान में 1,850 से अधिक जीसीसी हैं, जो लगभग 22 लाख पेशेवरों को रोजगार प्रदान करते हैं। ये केंद्र हर साल 80,000 से 1,20,000 कार्यस्थल की जगहें जोड़ रहे हैं, जिससे कार्यक्षेत्र संचालकों के लिए सालाना 17-25.4 करोड़ डॉलर का अवसर पैदा हो रहा है।
भारत में वाणिज्यिक रियल एस्टेट की अगली लहर: जीसीसी की वृद्धि के साथ फ्लेक्स स्पेस का उदय ('इंडिया नेक्स्ट कॉमर्शियल रियल एस्टेट वेव: द राइज ऑफ फ्लेक्स स्पेसेस फ्यूल्ड बाय जीसीसी ग्रोथ) शीर्षक से जारी रिपोर्ट भारत के वाणिज्यिक रियल एस्टेट बाजार में चल रहे संरचनात्मक बदलावों का विश्लेषण करती है और यह बताती है कि कैसे वैश्विक क्षमता केंद्रों का तीव्र विस्तार महानगरों और मझोले शहरों ( टियर-1 और टियर-2) शहरों में लचीले और प्रबंधित कार्यस्थलों की मांग को बढ़ा रहा है।