दिल्ली वक्फ बोर्ड मनी लॉन्ड्रिंग केसः कोर्ट ने एमएलए अमानत उल्लाह खान की अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला रखा सुरक्षित

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 24-02-2024
  Amanat Ullah Khan
Amanat Ullah Khan

 

नई दिल्ली. राउज एवेन्यू अदालत ने शनिवार को आप विधायक अमानत उल्लाह खान की अग्रिम जमानत याचिका पर 1 मार्च के लिए आदेश सुरक्षित रख लिया. यह मामला अमानत उल्लाह खान, जो उस क्षेत्र से मौजूदा विधायक भी हैं, के कथित इशारे पर ओखला क्षेत्र में 36 करोड़ रुपये की संपत्ति की खरीद से संबंधित है.

उन्होंने दिल्ली वक्फ बोर्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अग्रिम जमानत मांगी है और इस मामले में ईडी ने उन्हें तलब किया है. इस मामले में कोर्ट ने तीन आरोपियों जीशान हैदर, दाउद नासिर और जावेद इमाम सिद्दीकी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. कौसर इमाम सिद्दीकी सहित चार आरोपियों के खिलाफ पहले ही आरोप पत्र दायर किया जा चुका है.

विशेष न्यायाधीश राकेश सयाल ने ईडी और अमानत उल्लाह खान के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद आवेदन पर आदेश सुरक्षित रख लिया. अमानत उल्लाह खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने अधिवक्ता रजत भारद्वाज के साथ जमानत अर्जी पर बहस की.

वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी की ओर से दलील दी गई कि इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2016 में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के 8 साल (7 साल 7 महीने) बाद यह ईसीआईआर दर्ज किया है.

आरोप है कि 100 करोड़ रुपये की वक्फ संपत्तियों को गैरकानूनी तरीके से लीज पर दे दिया गया. यह भी आरोप है कि अमानत उल्लाह खान की अध्यक्षता के दौरान नियमों को ताक पर रखकर दिल्ली वक्फ बोर्ड में 32 संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी.

वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में निष्कर्ष निकाला कि संपत्तियों को पट्टे पर देना प्रशासनिक अनियमितता थी. अपराध की कोई आय नहीं थी, कोई अनुचित लाभ नहीं था और सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं हुआ.

यह भी दलील दी गई कि बड़ी रकम सीबीआई केस के समान 100 करोड़ रुपये है. उन्हें अभी भी एक अनुसूचित अपराध साबित करना होगा. गुरुस्वामी ने कहा, मार्च 2023 को उन्हें सीबीआई मामले में जमानत दे दी गई थी.

यह भी तर्क दिया गया कि जिन कर्मचारियों ने काम किया उसके बदले में कर्मचारियों को वेतन दिया गया. आवेदक द्वारा कोई अनुचित लाभ नहीं उठाया गया. आवेदक से कोई वसूली नहीं की गई. यह भी प्रस्तुत किया गया कि 28 सितंबर 2022 को आरोपी को एसीबी एफआईआर में जमानत दे दी गई थी.

कहा गया कि 32 संविदा कर्मचारियों को बैंकिंग चैनल के माध्यम से 3 करोड़ रुपये वेतन का भुगतान किया गया. किसी भी कर्मचारी ने आवेदक को वेतन नहीं दिया. इसका मतलब है कि कोई अनुचित लाभ नहीं है.

वकील ने तर्क दिया, मुझे नहीं पता कि मैं (अमानत) बिक्री आईडी संपत्ति के इस मामले में कैसे शामिल हूं. आज तक किसी भी प्रकार की कोई वसूली नहीं हुई है. 27 करोड़ रुपये बड़ी रकम है. यह रकम कहां है और यह अपराध की ओर कैसे बढ़ती है? मैं इस मामले में आरोपी भी नहीं हूं.

वरिष्ठ अधिवक्ता ने आगे तर्क दिया कि कोई अनुसूचित अपराध नहीं है, अपराध की कोई आय नहीं है, और इसलिए कोई मनी लॉन्ड्रिंग नहीं है. कोई अपराध नहीं है, कोई अनुचित लाभ नहीं है, सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं है, कोई मनी लॉन्ड्रिंग नहीं है

गुरुस्वामी ने तर्क दिया, ‘‘आप (ईडी) कोई भी नई जानकारी मिलने पर नई एफआईआर दर्ज नहीं कर सकते. आप एक ही कारण के लिए दो एफआईआर नहीं कर सकते.’’

विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) मनीष जैन और साइमन बेंजामिन, अधिवक्ता स्नेहल शारदा के साथ ईडी की ओर से पेश हुए. एसपीपी मनीष जैन ने अमानत उल्लाह खान के वरिष्ठ वकील की दलील का खंडन किया.

उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला अमानत उल्लाह खान की भूमिका पर आधारित है. जैन ने तर्क दिया, ‘‘पूरे विवाद के केंद्र में एके हैं. उनका नाम तीन आरोपी व्यक्तियों की जमानत खारिज करने के आदेश में 83 बार आया है. आदेश खुद बोलता है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मनी लॉन्ड्रिंग की परतें खुल रही हैं. यह एक गहरी साजिश है.’’ उन्होंने आगे तर्क दिया कि आवेदक को जारी किए गए समन को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी और अभियोजन शिकायत (चार्ज शीट) भी याचिका के साथ संलग्न की गई थी.

अदालत द्वारा संज्ञान लेने के बाद 19 जनवरी को यह आरोप पत्र अन्य आरोपियों को दिया गया था. दबाव न होने के कारण याचिका वापस ले ली गई. कोई स्वतंत्रता न तो मांगी गई और न ही दी गई. एसपीपी ने कहा, आप अपने अधिकार छोड़ रहे हैं.

मनीष जैन ने प्रस्तुत किया कि इस जमानत अर्जी में यह तथ्य छुपाया गया है. इसे दुर्भावनापूर्ण छिपाना कहा जाता है.

वरिष्ठ अधिवक्ता गुरुस्वामी ने एसपीपी मनीष जैन की दलीलों पर आपत्ति जताई. हमने कुछ भी नहीं छुपाया है. अभियोजक इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकता.श् कोई भी आरोपी जमानत का अधिकार नहीं छोड़ता. और इस मामले में मैं आरोपी भी नहीं हूं.

इसके बाद एसपीपी जैन ने तीन आरोपियों के जमानत आदेशों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि 100 करोड़ रुपये की संपत्ति का दुरुपयोग किया गया. एसीबी जांच कर रही है. उन्होंने कहा कि जीशान और दाऊद नासिर ने जावेद इमाम सिद्दीकी और कौसर इमाम सिद्दीकी के साथ मिलकर आवेदक के इशारे पर काम किया. उन्होंने फिर दोहराया कि मामले के केंद्र में अमानत उल्लाह खान हैं. उनके खिलाफ 22 मामले दर्ज थे. उसे इलाके का बुरा चरित्र (बीसी) घोषित कर दिया गया और हिस्ट्रीशीट खोल दी गयी. इसे दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई. याचिका खारिज कर दी गई. विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

 

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