दिल्ली हाईकोर्ट सोमवार को मेडिकल कॉलेज फैकल्टी के लिए पात्रता नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 21-09-2025
Delhi HC to hear plea challenging eligibility rules for medical college faculty on Monday
Delhi HC to hear plea challenging eligibility rules for medical college faculty on Monday

 

नई दिल्ली 

दिल्ली उच्च न्यायालय सोमवार को यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (यूडीएफ) द्वारा चिकित्सा संस्थानों में शिक्षक पात्रता योग्यता (टीईक्यू) विनियम, 2025 (टीईक्यू 2025) के संचालन और कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगा।
 
याचिका में टीईक्यू 2025 और 2 जुलाई, 2025 की संशोधन अधिसूचना के संचालन और कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि यह अधिसूचना एमबीबीएस के मुख्य विषयों एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी में 30% तक गैर-मेडिकल (एमएससी/पीएचडी) संकाय की नियुक्ति की अनुमति देती है।
 
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 21 अगस्त को यूडीएफ द्वारा दायर एक याचिका पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) और अन्य को नोटिस जारी किया, जिसमें चिकित्सा संस्थानों में शिक्षक पात्रता योग्यता (टीईक्यू) विनियम, 2025 और एनएमसी द्वारा 2 जुलाई, 2025 को जारी संशोधन अधिसूचना को चुनौती दी गई थी।
 
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने नोटिस जारी कर प्रतिवादियों से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था और मामले की सुनवाई 23 सितंबर के लिए सूचीबद्ध की थी।
 
आवेदन में कहा गया है कि तत्काल रोक लगाने की आवश्यकता है क्योंकि कई चिकित्सा संस्थानों ने उक्त नियमों के आधार पर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है।
 
याचिका में कहा गया है कि राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ग्रेटर नोएडा ने 7 अगस्त, 2025 को एक विज्ञापन जारी किया था, जिसमें विशेष रूप से एनएमसी चिकित्सा संस्थान (संकाय योग्यता) विनियम, 2025 के अनुसार आवेदन आमंत्रित किए गए थे।
 
याचिका में आगे कहा गया है कि दिल्ली कैंट स्थित बेस अस्पताल के निकट आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस (एसीएमएस) ने एनएमसी विनियमों के अनुसार एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री और माइक्रोबायोलॉजी में संविदात्मक संकाय पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।
 
यह भी कहा गया है कि ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, इंदौर ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, संविदा के आधार पर शिक्षण संकाय की भर्ती के लिए 22 अगस्त, 2025 को एक विज्ञापन जारी किया था।
 
आवेदक यूडीएफ ने एमबीबीएस शिक्षण पदों पर गैर-चिकित्सा संकाय की नियुक्ति की अनुमति देने वाले टीईक्यू 2025 विनियमों के संचालन पर रोक लगाने की मांग की है।
 
दूसरे, इसने रिट याचिका के अंतिम निपटारे तक सभी मेडिकल कॉलेजों पर विवादित नियमों के आधार पर भर्ती करने से रोकने की भी मांग की है।
 
 इस याचिका में इन विवादित प्रावधानों के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई है, जिसमें कहा गया है कि चिकित्सा शिक्षा के कमजोर मानकों के कारण गैर-चिकित्सकीय रूप से प्रशिक्षित एमएससी/पीएचडी धारकों को एमबीबीएस/एमडी/एमएस योग्यता प्राप्त संकाय के बराबर माना जाता है।
यह भी कहा गया है कि यह अधिसूचना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करती है और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 का उल्लंघन करती है। यह योग्यता आधारित चिकित्सा शिक्षा (सीबीएमई) पाठ्यक्रम को कमजोर करती है।
 
यह भी कहा गया है कि यह कठोर प्रशिक्षण और राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं से गुजरने वाले एमबीबीएस/एमडी/एमएस डॉक्टरों की वैध करियर अपेक्षाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
 
याचिका में यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की गई है कि एमबीबीएस छात्रों को पढ़ाने के लिए केवल चिकित्सकीय रूप से योग्य एमबीबीएस (एमडी/एमएस) डॉक्टरों की ही नियुक्ति की जाए, जिससे चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बनी रहे और नागरिकों के स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा हो सके।