चावदार झील पर जुटे देशभर के दलित, सम्मान में मुसलमानों ने दी इफ्तार की दावत

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 02-04-2024
Dalits and Muslim communities from across the country gathered at Chavdar Lake, the revolutionary site of Mahad Satyagraha, and organized Iftar in their honour.
Dalits and Muslim communities from across the country gathered at Chavdar Lake, the revolutionary site of Mahad Satyagraha, and organized Iftar in their honour.

 

सौरभ चंदनशिवे/ पुणे

हाल ही में महाराष्ट्र के महाड में चवदार झील पर एक ऐतिहासिक घटना घटी. पहली बार, उस समुदाय के लिए इफ्तार का आयोजन किया गया जो महाड सत्याग्रह की 96वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एकत्र हुए थे.1927 में डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के नेतृत्व में महाड़ सत्याग्रह, भारत में दलितों के लिए समानता की लड़ाई में एक ऐतिहासिक घटना थी.
 
चावदार झील पर ही अंबेडकर और उनके अनुयायियों को पानी तक पहुंच से वंचित कर दिया गया था, जिससे एक आंदोलन शुरू हुआ जो अंततः अस्पृश्यता के उन्मूलन का कारण बना. महाड़ सत्याग्रह भारत में दलित अधिकारों की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण क्षण था.

देशभर से दलित-बहुजन समुदाय के लोग चवदार झील देखने आते हैं. चवदार झील का दौरा करने के बाद यह समुदाय यहीं से क्रांति की ऊर्जा लेता है. इसीलिए इस स्थान को 'क्रांतिभूमि' भी कहा जाता है.
 
 
इस साल भी चवदार झील देखने के लिए देश के कोने-कोने से भारी भीड़ उमड़ी थी. इस साल की खास बात यह है कि इसी समय रमजान का महीना भी चल रहा है. रमज़ान न केवल उपवास और तपस्या का, बल्कि सेवा और मदद का भी महीना है. इसलिए मुस्लिम समुदाय ने चवदार झील पर आए लोगों की सेवा करने का बीड़ा उठाया.
 
इस वर्ष, जब देशभर से दलित अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए चवदार झील पर एकत्र हुए, तो महाड का मुस्लिम समुदाय उनके लिए इफ्तार का आयोजन करने के लिए आगे आया. चावदार झील पर इफ्तार दलित और मुस्लिम समुदायों के बीच एकजुटता और भाईचारे का एक शक्तिशाली प्रतीक था, और इसे प्रतिभागियों द्वारा बहुत सराहना मिली.
 
इस साल पहली बार चवदार झील स्थल पर रोजा इफ्तार कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें बड़ी संख्या में सभी धर्मों के नागरिकों ने भाग लिया. कार्यक्रम का आयोजन मूलनिवासी मुस्लिम मंच, संभाजी ब्रिगेड, भीम आर्मी बहुजन एकता मिशन, क्षेत्रीय ईसाई समाज और महाड के मुस्लिम समुदाय सहित विभिन्न धार्मिक संगठनों द्वारा किया गया था.
 
इफ्तार कार्यक्रम के बाद कई गणमान्य लोगों ने दर्शकों से बातचीत की. इस अवसर पर बोलते हुए, मूलनिवासी मुस्लिम मंच के अध्यक्ष अंजुम इनामदार ने अंबेडकर और मुस्लिम समुदाय के बीच घनिष्ठ संबंधों पर प्रकाश डाला और कहा कि इफ्तार उनकी साझा विरासत को श्रद्धांजलि देने का एक तरीका है. उन्होंने कहा, "हमारा अभियान छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती से पैगंबर मुहम्मद जयंती तक कुल छह महीने तक जारी रहेगा. 
 
 
हम सभी सामाजिक समूहों के बीच सद्भाव पैदा करने और एक-दूसरे के धर्म के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र के 355 तालुकाओं और 36 जिलों का दौरा करेंगे." यह पवित्र कार्य पुणे से शुरू किया गया है. हमें इस बात पर बहुत गर्व है कि हम विशेष रूप से इस तथ्य से प्रेरित हैं कि एक महान स्वतंत्रता सेनानी और कवि, मौलाना हसरत मोहानी और डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने एक साथ इफ्तार किया.
 
इसकी याद दिलाने के लिए 'अमन का कारवां' अभियान के तहत महाड में चवदार झील स्थल पर रोजा इफ्तारी कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.''
 
रोजा इफ्तार कार्यक्रम में महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं. मुंबई की एक 90 वर्षीय दादी ने रोजा इफ्तार के आयोजकों को अपना आशीर्वाद दिया. कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय और अंबेडकरवादी समुदाय के सह-अस्तित्व पर प्रकाश डाला गया, जो मिलकर भाईचारा बनाए रखते हैं. महाराष्ट्र में हुआ यह कार्यक्रम, जिसने आपसी सौहार्द और भाईचारे को बढ़ावा दिया, एक मिसाल है, जिसका अनुसरण पूरे देश को करना चाहिए.
 
इफ्तार वास्तव में एक हृदयस्पर्शी घटना थी, और यह हमारे समाज में करुणा, समझ और एकता के महत्व की याद दिलाती थी. यह एक संदेश है जो आज के समय में विशेष रूप से प्रासंगिक है जब हम बढ़ते ध्रुवीकरण और विभाजन को देख रहे हैं.
 
महाड में रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम कई व्यक्तियों और संगठनों के समर्पित प्रयासों की बदौलत सफल रहा. डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक ने, इसके प्रमुख श्री जामदादे के नेतृत्व में अध्यक्ष सादिक शेख की अध्यक्षता में एकता मानव संगठन के साथ सहयोग किया.
 
पिंपरी चिंचवड़ शहर कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष मेहबूब शेख ने भी अपना समर्थन दिया. इसके अतिरिक्त, महाड के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता दिलदार पुरकर, हनीफ पुरकर, अनंत कांबले और मुश्ताक काज़ी सहित कई अन्य आयोजकों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.