CUSAT researchers receive patent for advanced digital evidence fingerprinting system
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
आपराधिक जांच और फॉरेंसिक विश्लेषण में इस्तेमाल होने वाले डिजिटल साक्ष्यों की विश्वसनीयता एवं प्रामाणिकता को बढ़ाने के उद्देश्य से डिजाइन की गई एक अभिनव प्रणाली के लिए सीयूएसएटी के अनुसंधानकर्ताओं को पेटेंट प्रदान किया गया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
कोचीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीयूएसएटी) ने एक बयान में कहा कि ‘‘डिजिटल साक्ष्य के डिजिटल फिंगरप्रिंट उत्पन्न करने के लिए प्रणाली और विधि’’ शीर्षक वाले भारतीय पेटेंट में एक ऐसी प्रणाली शामिल है जो कई सुरक्षा मापदंडों को एकीकृत करके पारंपरिक डिजिटल साक्ष्य ‘हैशिंग’ तकनीकों को बढ़ाती है।
सीयूएसएटी के अधिकारियों ने बताया कि प्रणाली में अंतर्निहित ‘राइट-ब्लॉक’ तकनीक भी शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रक्रिया के दौरान मूल डिजिटल साक्ष्य अपरिवर्तित रहे।
बयान में कहा गया, ‘‘उपयोग में आसानी के लिए डिज़ाइन की गई यह प्रणाली कानून प्रवर्तन अधिकारियों और जांचकर्ताओं द्वारा अपराध स्थलों पर सीधे संचालित की जा सकती है, जिसके लिए उन्नत तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती।’’
इसमें कहा गया कि यह पेटेंट कंप्यूटर अनुप्रयोग विभाग की साइबर इंटेलिजेंस रिसर्च लैबोरेटरी में वरिष्ठ अनुसंधान फेलो (यूजीसी-एसआरएफ) विजिथ टी. के. थेक्के कूडाथिल, इंजीनियरिंग स्कूल के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉ. एम बी संतोष कुमार, कंप्यूटर अनुप्रयोग विभाग के एमेरिटस प्रोफेसर डॉ. के. वी. प्रमोद, और साइबर इंटेलिजेंस रिसर्च लैबोरेटरी के अनुसंधानकर्ता सुकृत बी. को प्रदान किया गया है।