5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनामी के सपने को पूरा करने में कोऑपरेटिव की होगी बड़ी भूमिकाः अमित शाह

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 16-07-2022
अमित शाह
अमित शाह

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (ARDBs) के राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि देश के 70करोड गरीबों को समविकास, समावेशी विकास की प्रक्रिया में अगर कोई क्षेत्र भागीदार बना सकता है तो सहकारिता क्षेत्र ही बना सकता है. बैकिंग सेक्टर में सुधारों का फायदा मिलेगा सहकारिता को

केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि देश को 5ट्रिलियन डॉलर की इकोनामी में बदलने के प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने में कोऑपरेटिव की बहुत बड़ी भूमिका होगी. उन्होंने कहा कि देश के 70करोड गरीबों को समविकास, समावेशी विकास की प्रक्रिया में अगर कोई सेक्टर भागीदार बना सकता है तो वह सहकारिता सेक्टर कर सकता है.

अमित शाह ने शनिवार को नई दिल्ली में कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकोंके राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए कहा कि सहकारिता का आयाम कृषि विकास के लिए बहुत अहम है और इसके बिना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की किसानों की आय को दोगुना करने की परिकल्पना को हम पूरा नहीं कर सकते.

उन्होंने कहा कि देश की कृषि को भाग्य के आधार से परिश्रम के आधार पर परिवर्तित करने का काम केवल और केवल कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों ने किया. उस वक़्त कोऑपरेटिव सेक्टर के इस आयाम ने किसान को आत्मनिर्भर करने की दिशा में बहुत बड़ी शुरुआत की. उन्होंने कहा कि अगर पिछले 90साल की यात्रा को देखें तो पता चलेगा कि कृषि और कृषि व्यवस्था के अनुरूप हम इसे नीचे तक नहीं पहुंचा पाए हैं. उन्होंने कहा कि बहुत सारी बाधाएं हैं लेकिन इन्हें पार करके दीर्घकालीन वित्त को जब तक नहीं बढ़ाते तब तक देश के प्रधानमंत्री जी की कल्पना के अनुसार कृषि विकास असंभव है. कई बड़े राज्य ऐसे हैं जहां बैंक चरमरा गए हैं और इस पर भी विचार करने की ज़रूरत है.

अमित शाह ने कहा कि सरप्लस फंड को ग़ैर-कृषि उपयोगों की ओर डायवर्ट करने से उद्देश्यों की परिपूर्ति नहीं होती. नाबार्ड के उद्देश्यों की परिपूर्ति तभी होती है जब उपलब्ध सारा पैसा ग्रामीण विकास और कृषि के क्षेत्र में ही लगे. लेकिन ये तब तक संभव नहीं है जब तक कृषि के क्षेत्र में हम दीर्घकालीन वित्त, इन्फ्रास्ट्रक्चर और माइक्रो-इरिगेशन को बढ़ावा नहीं देते.

अमित शाह ने कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों का काम सिर्फ़ फ़ायनांस करना नहीं है, बल्कि गतिविधियों का विस्तार करना है. हमें काम के विस्तार में जो कुछ भी बाधाएं हैं, उनके रास्ते निकालने पड़ेंगे और तब जाकर हम कृषि विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि हम सिर्फ़ बैंक ना चलाएं बल्कि बैंक बनाने के उद्देश्यों की परिपूर्ति की दिशा में काम करने का भी प्रयास करें.

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि ऋण वसूली की दिशा में भी हमें तेज़ी लानी होगी. सेवाओं का भी विस्तार करना होगा, अपने अपने कार्यक्षेत्रों में कार्यशालाएं, संवाद करके किसानों में इरिगेटिड लैंड का प्रतिशत, उपज, उत्पादन बढ़ाने, किसान को समृद्ध बनाने और जागरूकता लाने के लिए परिसंवाद करने होंगे.

उन्होंने कहा कि तीन लाख से ज्यादा ट्रैक्टरों को इन बैंकों ने फाइनेंस किया है, लेकिन देश में 8करोड़ से ज्यादा ट्रैक्टर हैं. 13करोड़ किसानों में से लगभग 5.2लाख किसानों को हमने मध्यम और लॉन्ग टर्म फाइनेंस दिया है. कई नए रिफॉर्म्स बैंकों ने किए है जो स्वागतयोग्य हैंलेकिन रिफॉर्म्स बैंक स्पेसिफिक ना रहे, वह पूरे सेक्टर के लिए हो.

अमित शाह ने कहा कि विशेषकर एग्रीकल्चर फाइनेंस में, चाहे शॉर्ट टर्म हो या लॉन्ग टर्म, एक दृष्टि से देश लकवा ग्रस्त हो गया है. कई जगह एक्टिविटी बहुत अच्छी चलती है और कई राज्यों में बहुत बिखर गई है. हमें इसे पुनर्जीवित करना होगा और जो किसान लाचारी से अपर्याप्तता का भुक्तभोगी बना है, उसे सहकारिता क्षेत्र को अपनी उंगली पकड़ा कर आर्थिक विकास के रास्ते पर चलाने का काम करना है. पूंजी की कमी नहीं है, फाइनेंस करने की हमारी व्यवस्था और हमारे इंफ्रास्ट्रक्चर चरमरा गए हैं,उन्हें पुनर्जीवित करना पड़ेगा और हर राज्य के बैंक को अपने राज्य के ऐसे क्षेत्र को चिन्हित करना पड़ेगा.

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमारा देश दुनिया में कृषि भूमि की उपलब्धता में दुनिया में सातवें नंबर पर है और कृषि एक्टिविटी की दृष्टि से अमेरिका के बाद 39.4करोड़ एकड़ की भूमि के साथ हम दूसरे नंबर पर हैं.इतना बड़ा विशाल क्षेत्र हमारे सामने है डेवलपमेंट करने के लिए और इसीलिए नाबार्ड की स्थापना हुई. अगर 39.4करोड़ एकड़ भूमि हम पूर्णतया इरिगेटेड कर लेते हैं तो भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की भूख मिटाने के लिए भारत का किसान काफी है.

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती के प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए भी अमूल प्राइमरी काम कर रहा है. हैंडीक्राफ्ट के मार्केटिंग के लिए भी हमने एक बहुराज्यीय कॉपरेटिव बनाने का सोचा है. बीज सुधार के लिए इफको और कृभको को जिम्मेदारी दी है, एक्सपोर्ट के लिए भी एक मल्टीस्टेट कॉपरेटिव का एक्सपोर्ट हाउस बनेगा.

अमित शाह ने कहा कि धान की खरीदी में लगभग 88%की वृद्धि की गई है, पहले 2013-14में 475लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जाता था, आज 896लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जाता है और लाभार्थी किसान 76लाखसे बढ़कर 1करोड़ 31लाख हो गए हैं. गेहूं की खरीदी में 72%की वृद्धि हुई है, पहले 251लाख मीट्रिक टन खरीदते थे और आज 433लाख मीट्रिक टन खरीदते हैं.

किसान क्रेडिट कार्ड, जैविक खेती को बढ़ावा, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, कृषि का निर्यात पहली बार 50बिलियन डॉलर को पार कर गया है, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत सिर्फ 8साल में 64लाख हैक्टेयर भूमि को बढ़ाया गया है, पहले के 70साल में 64लाख हैक्टेयर और इन पिछले 8साल में 64लाखहैक्टेयर. एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर में गवर्नमेंट का इन्वेस्टमेंट जितना बढ़ता है, उतना ही कोऑपरेटिव,खासकर एग्रीकल्चर फाइनेंस के कॉपरेटिव की हमारी इकाइयों का पोटेंशियल बढ़ता है.

उन्होंने कहा कि अगर हम कोऑपरेटिव के स्पिरिट, हमारे लक्ष्यों को पुनर्जीवित करेंगे और लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहेंगे, लक्ष्य प्राप्ति के लिए पुरुषार्थ करेंगे तो निश्चित रूप से आने वाले दिनों में 5ट्रिलियन डॉलर की इकोनामी के मोदी जी के स्वप्न को पूरा करने में कोऑपरेटिव की बहुत बड़ी भूमिका होगी. उन्होंने कहा कि देश के 70करोड गरीबों को समविकास, समावेशी विकास की प्रक्रिया में अगर कोई सेक्टर भागीदार बना सकता है तो हमारा सहकारिता सेक्टर कर सकता है.