सांस्कृतिक कार्यक्रमों से हुआ शुभारंभ
मेले की शुरुआत श्रीराम स्तुति और विभिन्न राज्यों – हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मिजोरम आदि – के पारंपरिक नृत्यों से हुई, जिसने देश की सांस्कृतिक विविधता में एकता का संदेश दिया। मुख्यमंत्री का स्वागत पारंपरिक हरियाणवी पगड़ी पहनाकर किया गया, और बंचारी के नगाड़ों व बीन की मधुर धुनों ने माहौल को उत्सवमय बना दिया।
मेले में स्वदेशी उत्पादों की भरमार
इस वर्ष के दिवाली मेले की थीम "आत्मनिर्भर भारत - स्वदेशी मेला" और "हम परिवारों को जोड़ते हैं" रखी गई है। मेला स्थल पर 467 में से लगभग 450 स्टॉल लगाए जा चुके हैं, जिनमें स्वदेशी वस्तुएं, खादी और ग्राम उद्योग से जुड़े उत्पाद प्रमुख रूप से उपलब्ध हैं। यह मेला 7 अक्टूबर तक चलेगा।
मुख्यमंत्री सैनी ने मेले का दौरा करते हुए कारीगरों और कलाकारों से बातचीत की और उनके कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह मेला देश के कोने-कोने से आए कारीगरों को एक सशक्त मंच देता है और शहरी खरीदारों को ग्रामीण उत्पादों से जोड़ता है।
स्वदेशी को बताया आत्मनिर्भरता की कुंजी
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, "स्वदेशी आंदोलन हमारे स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा था और आज यह भारत की समृद्धि की नींव बन सकता है। जब हम भारत में बने उत्पाद खरीदते हैं, तो हम सिर्फ कारीगरों का नहीं, बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाते हैं।"
उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे अधिक से अधिक स्वदेशी वस्तुओं को अपनाएं और हर खरीदारी के ज़रिये आत्मनिर्भर भारत अभियान में भागीदार बनें।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सजी रहेंगी शामें
मेले के दौरान प्रतिदिन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन होगा।
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पहले दिन मीनू ठाकुर ने कुचिपुड़ी नृत्य प्रस्तुत किया।
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3 अक्टूबर को पलवल के एनजीएफ कॉलेज का फैशन शो और पंजाबी गायक दीपेश राही का कार्यक्रम होगा।
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5 अक्टूबर को सूफी गायक सलमान अली,
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6 अक्टूबर को हिमाचल पुलिस बैंड
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7 अक्टूबर को समापन समारोह होगा।
फूड ज़ोन और खरीदारी का आनंद
खानपान के शौकीनों के लिए फूड ज़ोन में 40 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं। इनमें बिहार का लिट्टी-चोखा, पंजाब की पिन्नियां, सोहन हलवा जैसे व्यंजन खास आकर्षण हैं। कुछ मिठाइयाँ ऐसी हैं जो महीनों तक खराब नहीं होतीं।
पर्यटक दीयों, झालरों, सजावटी सामान, होम डेकोर, बुटीक, क्रॉकरी, आभूषण, टेराकोटा आइटम्स और गार्डनिंग से जुड़े उत्पादों की खरीदारी कर सकते हैं। बच्चों के लिए भी खिलौनों और रंग-बिरंगे सजावटी सामान की विशेष वैरायटी उपलब्ध है।
सख्त सुरक्षा और सुविधाजनक व्यवस्था
मेले की सुरक्षा के लिए करीब 700 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। परिसर को पांच सुरक्षा जोनों में बांटा गया है और प्रवेश द्वार पर कड़ी जांच की जा रही है। निःशुल्क पार्किंग की सुविधा भी दी गई है।
ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा https://mela.haryanatourism.gov.in/e/diwali-mela पर ₹100 प्रति व्यक्ति दर से उपलब्ध है। छात्रों को वैध आईडी कार्ड दिखाने पर 50% की छूट मिलेगी।
प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी
कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने अध्यक्षता की। उनके साथ शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल, खाद्य एवं उपभोक्ता मामले राज्य मंत्री राजेश नागर, बल्लभगढ़ विधायक मूलचंद शर्मा, पर्यटन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव कला रामचंद्रन, हरियाणा पर्यटन निगम के एमडी डॉ. शालीन और उपायुक्त विक्रम सिंह यादव सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि अर्पित की और विजयादशमी की शुभकामनाएं दीं। साथ ही सूचना, जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा तैयार की गई कॉफी टेबल बुक का विमोचन भी किया।
स्वदेशी को जन आंदोलन बनाने की पहल
मुख्यमंत्री ने 25 दिसंबर तक चलने वाले "स्वदेशी प्रतिज्ञा" राष्ट्रव्यापी अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि स्टॉलों से की गई हर खरीदारी आत्मनिर्भर भारत अभियान में एक महत्वपूर्ण योगदान है।
पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा कि हरियाणा राज्य विभिन्न मेलों के माध्यम से स्वदेशी उत्पादों को लगातार प्रोत्साहित कर रहा है। उन्होंने बताया कि आम मेला और राखीगढ़ी मेला के बाद सूरजकुंड दिवाली मेला एक और बड़ा मंच है जहाँ छोटे उत्पादकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी दरों को सरल बनाए जाने से भी इन्हें बड़ा लाभ मिला है।
यह मेला भारतीय संस्कृति, कला और स्वदेशी भावना का एक जीवंत उत्सव है, जो स्थानीय कारीगरों को पहचान और उपभोक्ताओं को आत्मनिर्भर भारत से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।