जी 20 से पहले चीन का पैंतरा, नए नक्शे में अरुणाचल और अक्साई चिन को बताया देश का हिस्सा

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 29-08-2023
Arunachal and Aksai Chin were told as part of the country in the new map
Arunachal and Aksai Chin were told as part of the country in the new map

 

आवाज द वॉयस /नई दिल्ली

खुराफाती चीन का दिमाग ऐन उस समय फिर गया है, जब दस दिनों बाद भारत में जी 20 की शिखर वार्ता होने वाली है और चार दर्जन से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष यहां जुटने वाले हैं.इस बीच चीन ने आधिकारिक तौर पर अपने ‘मानक मानचित्र’ का 2023 संस्करण जारी कर दिया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश राज्य और अक्साई चिन क्षेत्र को इसके क्षेत्र का हिस्सा दिखाया गया है.

यह नक्शा 28 अगस्त को जारी किया गया है. दक्षिण तिब्बत पर चीन पहले से दावा करता रहा है और अक्साई चिन 1962के युद्ध के बाद से उसके कब्जे  में है. नए नक्शे में ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को भी चीनी क्षेत्र में शामिल बताया गया है.

मानचित्र में नाइन-डैश लाइन पर चीन के दावों को भी शामिल किया गया है. वह दक्षिण चीन सागर के एक बड़े हिस्से पर दावा करता रहा है. इसके उलट वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई दक्षिण चीन सागर क्षेत्रों पर अपना दावा करते हैं.

चाइना डेली अखबार के अनुसार, यह नक्शा सोमवार को झेजियांग प्रांत के डेकिंग काउंटी में सर्वेक्षण और मानचित्रण प्रचार दिवस और राष्ट्रीय मानचित्रण जागरूकता प्रचार सप्ताह के जश्न के दौरान चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी किया गया.

हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात हुई थी.विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अनसुलझे मुद्दों पर भारत की चिंताओं पर प्रकाश डाला था.

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और एलएसी का सम्मान करना आवश्यक है. इस संबंध में, दोनों नेता अपने संबंधित अधिकारियों को शीघ्रता से प्रयास तेज करने का निर्देश देने पर सहमत हुए थे.

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय प्रचार विभाग के स्वामित्व वाले अंग्रेजी भाषा के दैनिक समाचार पत्र चाइना डेली के अनुसार,चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के मुख्य योजनाकार वू वेन झोंग ने कहा कि सर्वेक्षण, मानचित्रण और भौगोलिक जानकारी राष्ट्र के विकास को बढ़ावा देने, जीवन के सभी क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन का समर्थन करने और मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इससे पारिस्थितिकी और सभ्यता का निर्माण होता है.

वू ने कहा, अगला कदम डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास में डिजिटल मानचित्र और नेविगेशन और पोजिशनिंग जैसे भौगोलिक सूचना डेटा के अनुप्रयोग में तेजी लाना होगा. जैसे स्थान-आधारित सेवाएं, सटीक कृषि, प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था और बुद्धिमान कनेक्टेड वाहन.  

चाइना डेली के अनुसार,झेजियांग प्रांतीय पीपुल्स सरकार के उप महासचिव ली याओवू के अनुसार, झेजियांग ने हाल के वर्षों में डिजिटल और वास्तविक अर्थव्यवस्थाओं के गहन एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है और डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देना जारी रखा है.

अलग बात है कि चीन की सीमा जितने देशों से लगती है उससे कहीं अधिक देशों के साथ उसके क्षेत्रीय विवाद हैं. शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी, सीसीपी ने अन्य संप्रभु क्षेत्रों पर क्षेत्रीय नियंत्रण का दावा करने के प्रयास के लिए भ्रामक रणनीति और हेरफेर का इस्तेमाल किया है.

बीजिंग ने अधिक क्षेत्र पर नियंत्रण करने की अपनी विस्तारवादी कोशिश में सभी अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन किया है.चीन ने अब भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करते हुए तर्क दिया है कि ये स्थान वृहद तिब्बत का हिस्सा थे.

हताश बीजिंग ने इस साल अप्रैल में एकतरफा रूप से 11भारतीय स्थानों का नाम बदल दिया था, जिसमें पर्वत चोटियों, नदियों और आवासीय क्षेत्र शामिल हैं.यह पहली बार नहीं है कि बीजिंग ने इस तरह के शोशे छोड़े हैं.

इससे पहले 2017 और 2021 में चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अन्य भारतीय स्थानों का नाम बदल दिया था, जिससे एक और राजनीतिक टकराव शुरू हो गया था. नई दिल्ली ने तब चीन की विस्तारवादी योजनाओं को खारिज कर दिया था.

इससे पहले, विदेश मंत्रालय (एमईए) के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची भी भारत के अरुणाचल प्रदेश से संबंधित स्थानों पर अपना प्रभुत्व दिखाने के चीन के प्रयास पर टिप्पणी कर चुके हैं. उन्होंने कहा था, यह पहली बार नहीं है कि चीन ने इस तरह का प्रयास किया है (अरुणाचल प्रदेश में क्षेत्रों के नाम बदलना).

हम पहले ही ऐसे किसी भी प्रयास की निंदा कर चुके हैं. अरुणाचल प्रदेश के संबंध में, हमने यह भी कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अविभाज्य हिस्सा है और इस तरह के मनगढ़ंत नाम थोपने से बिल्कुल भी बदलाव नहीं आएगा. इसी के साथ ही जी 20 शिखर वार्ता में चीनी राष्ट्रपति के आने और नहीं आने पर कयासबाजी चल रही है.