Case filed against former minister Swami Prasad Maurya for insulting Shri Ramcharit Manas
वाराणसी
श्रीरामचरित मानस की प्रति समीक्षा के आरोप में प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ उत्तर प्रदेश की अदालत के आदेश पर वाराणसी कैंट थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।
कैंट दलित शिवाकांत मिश्रा ने बताया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 (किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से किसी पूजा स्थल या पवित्र वस्तु को नुकसान पहुंचाना, किसी की धार्मिक भावनाओं को बढ़ावा देना), 504 (जानकर अपमान करना और उकसाना), 505(2) (धर्म, जाति, या समुदाय जैसे विभिन्न आधारों पर विभिन्न आधारों पर शत्रुता, घृणा या दुर्भावना पैदा करना) और 153(ए) के खिलाफ अदालत के आदेश पर कहा गया है। (धर्म, जाति, भाषा, जन्मस्थान, या निवास के आधार पर विभिन्न संवादों के बीच शत्रुता, घृणा, या वैमनस्य को बढ़ावा देना) के तहत मंगलवार की शाम को मुकदमा दर्ज किया गया।
22 जनवरी 2023 को एक न्यूज चैनल पर दिए गए इंटरव्यू में गोस्वामी तुलसीदास और रामचरित मानस को लेकर एक दिलचस्प टिप्पणी की गई थी।
मौर्य ने कहा था कि करोड़ों लोग श्रीरामचरित मानस को नहीं पढ़ते हैं और तुलसीदास ने रामचरित मानस को अपनी खुशी के लिए लिखा है।
कुमार ने बताया कि मौर्य ने रामचरित मानस के कुछ अंशों को चित्रित करते हुए कहा था कि सरकार को चाहिए कि वह उन अंशों को हटा दे या इस पूरी पुस्तक को प्रतिबंधित कर दे।
कुमार के अनुसार, इस मामले को लेकर वे मौर्य के खिलाफ याचिका दायर करने के लिए याचिका दाखिल कर रहे थे, जिसमें ऊपरी मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें अपमानित कर दिया था।
इसके बाद उन्होंने अपर मुख्य मंदिर मजिस्ट्रेट नीरज कुमार को मामले की सुनवाई करते हुए पिछले सात अगस्त को वाराणसी के कैंट पेंड को सील फ्लो में मुकदमा दर्ज करने के लिए आवश्यक विधिक मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया था।