आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
भगवान राम को लेकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक मदन मित्रा के विवादित बयान पर भारतीय जनता पार्टी ने कड़ा ऐतराज़ जताया है। बीजेपी नेता केया घोष ने इस बयान को न सिर्फ हिंदुत्व का अपमान बताया, बल्कि इसे चुनावी तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया। कोलकाता में एएनआई से बातचीत के दौरान केया घोष ने कहा कि बीजेपी को हिंदू धर्म या हिंदुत्व पर किसी तरह का पाठ पढ़ाने की जरूरत नहीं है, खासकर उन लोगों से जो खुद आस्था और इतिहास का अपमान कर रहे हैं।
केया घोष ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार और टीएमसी के नेता यह समझ चुके हैं कि मुस्लिम वोट बैंक उनसे खिसक रहा है। इसी डर के चलते वे जानबूझकर हिंदुत्व और भगवान राम का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव नज़दीक आते ही टीएमसी किसी भी हद तक गिर सकती है और मदन मित्रा का बयान इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
बीजेपी नेता ने टीएमसी सांसद डोला सेन पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस को पहले यह बताना चाहिए कि आज़ादी की लड़ाई में उसका क्या योगदान रहा है। इसके उलट उन्होंने बीजेपी के संस्थापकों और नेताओं के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान को रेखांकित किया।
संसद में हाल ही में पारित वीबी-जी राम-जी (VB-G RAM-G) बिल को लेकर विपक्ष के विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए केया घोष ने कहा कि यह नाम केवल एक संक्षिप्त रूप है, लेकिन विपक्ष को भगवान राम का नाम तक चुभता है। उन्होंने यह भी कहा कि महात्मा गांधी कोई नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं और मनरेगा के नाम बदलने को लेकर लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं।
केया घोष ने दावा किया कि इस नए कानून से अब टीएमसी मजदूरों को जॉब कार्ड के नाम पर गुमराह नहीं कर पाएगी, क्योंकि इसमें 125 दिन का रोजगार और जियो-टैगिंग जैसी पारदर्शी व्यवस्थाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि टीएमसी ने हमेशा गरीब और वंचित वर्ग के हित में उठाए गए हर कदम का विरोध किया है, चाहे वह नोटबंदी हो, सीएए हो या फिर यह नया बिल।