नई दिल्ली
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विपक्षी दलों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों के बीच निर्वाचन आयोग ने बुधवार को स्थिति स्पष्ट की और कई विपक्षी नेताओं के बयानों को "बिल्कुल निराधार" बताया।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज कुमार झा द्वारा सोशल मीडिया पर यह दावा किया गया था कि आयोग ने उन्हें इस मुद्दे पर मुलाकात के लिए समय नहीं दिया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आयोग ने स्पष्ट किया कि मनोज झा उनकी पार्टी के अधिकृत प्रतिनिधि नहीं हैं, और आयोग सिर्फ उन्हीं से मुलाकात करता है जिन्हें पार्टी की ओर से औपचारिक रूप से नामित किया गया हो।
आयोग ने बताया कि हाल ही में सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया गया था कि वे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए अपने प्रतिनिधियों के नाम साझा करें। लेकिन राजद ने मनोज झा को अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया, इसलिए समय न दिए जाने का सवाल ही नहीं उठता।
इसके साथ ही आयोग ने राजद नेता तेजस्वी यादव के उस दावे को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि गहन पुनरीक्षण के चलते बिहार के करोड़ों मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो जाएंगे। आयोग ने बताया कि चार करोड़ से अधिक आवेदन फॉर्म मतदाताओं द्वारा भरे गए और सफलतापूर्वक वापस प्राप्त किए जा चुके हैं, जो इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और भागीदारी को दर्शाता है।
निर्वाचन आयोग इन दिनों सोशल मीडिया पर #ECIFactCheck हैशटैग का इस्तेमाल कर रहा है, ताकि मतदाता सूची पुनरीक्षण से जुड़ी गलत सूचनाओं और अफवाहों का जवाब दिया जा सके।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी आयोग की इस तथ्यान्वेषण प्रक्रिया का समर्थन करते हुए इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया।