साल 2025 में बांग्लादेश-भारत संबंधों में आई खटास, कूटनीतिक तनातनी बढ़ी

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 29-12-2025
Bangladesh-India relations sour in 2025, diplomatic tensions escalate
Bangladesh-India relations sour in 2025, diplomatic tensions escalate

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक दबाव और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के आरोपों से जूझते बांग्लादेश के भारत के साथ संबंधों में इस साल गिरावट आई और दोनों पड़ोसी देशों के बीच कूटनीतिक तनातनी बढ़ी।
 
पिछले वर्ष अगस्त में सरकार-विरोधी प्रदर्शनों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने और भारत चले जाने के बाद रिश्तों में खटास आई। प्रदर्शनों के दौरान हिंसक कार्रवाई में कथित भूमिका के लिए इस वर्ष एक न्यायाधिकरण ने हसीना की अनुपस्थिति में उन्हें मौत की सजा सुनाई।
 
ढाका ने भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को विभिन्न मुद्दों पर पांच बार तलब किया, जबकि भारत ने बांग्लादेश के उच्चायुक्त रियाज हामिदुल्ला को एक बार बुलाया और उनके देश में सुरक्षा स्थिति को लेकर चिंता जताई।
 
व्यापक रूप से ‘‘भारत-हितैषी’’ मानी जाने वाली अवामी लीग सरकार से मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में हुए परिवर्तन ने बांग्लादेश के कूटनीतिक रुख को काफी हद तक बदल दिया।
 
वहीं, इस्लामाबाद के साथ रिश्ते गहरे करने की ढाका की पहल ने क्षेत्रीय समीकरणों को और जटिल बना दिया।
 
विशेषज्ञों के मुताबिक, यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के साथ बड़ी वैश्विक ताकतों की सीमित दिलचस्पी के कारण बांग्लादेश की स्थिति और कठिन हुई तथा ढाका कूटनीतिक रूप से दिशाहीन हो गया।
 
विश्लेषकों ने निर्वाचित सरकार के अभाव के कारण 2025 को बांग्लादेश के लिए ‘गायब साल’ करार दिया, जहां प्रमुख दूतावासों का संपर्क अंतरिम प्रशासन की तुलना में अगली सरकार बनाने की संभावना वाले दलों से अधिक रहा।
 
पूर्व राजदूत महफूजुर रहमान ने ‘पीटीआई’ से कहा कि 2025 में बांग्लादेश ‘‘किसी स्पष्ट विदेश नीति दिशा’’ के बिना आगे बढ़ा।
 
उन्होंने कहा कि ‘‘द्विपक्षीय रिश्तों में आए तनाव को दूर करने के लिए हालांकि दिल्ली की ओर से नरमी और परिपक्वता के संकेत दिखे, लेकिन ढाका ने रिश्ते सुधारने के लिए न तो पहल की और न ही इस मौके का लाभ उठाया।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘(ढाका ने) इसके बजाय एक अपरिपक्व रवैया दिखाया, जो साफ तौर पर एक घरेलू वर्ग को खुश करने के लिए था।’’
 
वर्ष के अंतिम महीनों में भारत-विरोधी ताकतों के उभार ने क्षेत्र में चिंता बढ़ाई। साथ ही, आम चुनाव की तारीख 12 फरवरी 2026 घोषित होने के बाद राजनीतिक हिंसा में वृद्धि देखी गई।
 
भारत विरोधी बयानबाजी के लिए जाने जाने वाले और इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी की 18 दिसंबर को हुई हत्या ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और हिंसा को भड़का दिया।
 
इस साल हिंदुओं और मुक्ति संग्राम के पूर्व सैनिकों पर हमलों में बढ़ोतरी की खबरें भी सामने आईं। मीडिया संगठनों और सूफी संतों की दरगाहों पर भी हमले किए गए।
 
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री एवं बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष खालिदा जिया के खराब स्वास्थ्य की खबरें भी 2025 में सुर्खियां बनी रहीं।
 
राजनीतिक परिदृश्य से अवामी लीग के गायब हो जाने के बाद बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) मुख्य राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी, जबकि जमात-ए-इस्लामी ने अन्य छोटे-छोटे के समूहों के साथ गठजोड़ कर खुद को एक अहम प्रतिद्वंद्वी के तौर पर खड़ा किया। यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने अवामी लीग के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
 
प्रदर्शन आंदोलनों से पैदा हुई छात्र-नेतृत्व वाली कई राजनीतिक इकाइयों के उभरने से चुनावी मैदान को नया आयाम मिला।
 
आर्थिक मोर्चे पर बांग्लादेश ने 2025 में धीमी वृद्धि, ऊंची महंगाई, कमजोर निवेश और बढ़ती बेरोजगारी जैसी चुनौतियों का सामना किया। दिसंबर में राष्ट्रीय राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष ने चेतावनी दी कि देश ‘‘कर्ज के जाल’’ की ओर बढ़ रहा है। यूनुस ने भ्रष्टाचार-मुक्त शासन का वादा किया था लेकिन हाल के महीनों में अंतरिम प्रशासन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी चर्चा में रहे।
 
वर्ष के अंत में राजनीतिक अनिश्चितता, आर्थिक संकट और अपने निकटतम पड़ोसी भारत के साथ तनावपूर्ण रिश्तों से जूझता बांग्लादोश एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है।