आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
असम में बाल विवाह की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है और यह राष्ट्रीय औसत से अधिक है। यह जानकारी एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा पांच राज्यों में किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार है।
अप्रैल 2022 से मार्च 2025 की अवधि पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल विवाह को समाप्त करने में पुलिस शिकायत और गिरफ्तारियों सहित कानूनी निवारण को सबसे प्रभावी उपकरणों में से एक माना गया है।
रिपोर्ट का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने रविवार को कहा कि बाल विवाह के खिलाफ सरकार के सख्त रुख के परिणाम सामने आ रहे हैं, जैसा कि सर्वेक्षण के निष्कर्षों से स्पष्ट है।
उन्होंने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "बाल विवाह के खिलाफ असम की अथक लड़ाई फलदायी साबित हो रही है, क्योंकि यहां अन्य राज्यों के मुकाबले बाल विवाह में सबसे अधिक गिरावट आई है।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "नवरात्रि पर जब हम मां दुर्गा की दिव्य शक्ति का उत्सव मना रहे हैं, हम अपनी बेटियों के भविष्य की रक्षा और पोषण के लिए प्रतिबद्ध हैं। आंकड़े खुद ही सब कुछ बयां करते हैं!"
'टिपिंग प्वाइंट टू जीरो: एविडेंस टुवर्ड्स ए चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया' नामक रिपोर्ट को हाल ही में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक कार्यक्रम में जारी किया गया। इसे 'सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंड बिहेवियर चेंज फॉर चिल्ड्रन' (सी-एलएबी) द्वारा तैयार किया गया है। यह एनजीओ जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन (जेआरसी) के सहयोगी 'इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन' की एक पहल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि असम बाल विवाह में सबसे अधिक गिरावट के साथ देश में अग्रणी है, जहां पिछले तीन वर्षों में लड़कियों के बाल विवाह के मामलों में 84 प्रतिशत और लड़कों में 91 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों में बाल विवाह में 69 प्रतिशत और लड़कों में 72 प्रतिशत की कमी आई है।
जिन पांच राज्यों में सर्वेक्षण किया गया उनमें लड़कियों के बीच बाल विवाह में कमी के मामले में असम के बाद महाराष्ट्र और बिहार (70 प्रतिशत प्रत्येक), राजस्थान (66 प्रतिशत) और कर्नाटक (55 प्रतिशत) का स्थान है।