हुर्रियत के एक और घटक ने अलगाववाद को खारिज किया : अमित शाह

Story by  रावी | Published by  [email protected] | Date 11-04-2025
Another component of Hurriyat rejects separatism: Amit Shah
Another component of Hurriyat rejects separatism: Amit Shah

 

नयी दिल्ली

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को घोषणा की कि अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस के एक और घटक ‘जम्मू-कश्मीर मास मूवमेंट’ ने अलगाववाद को खारिज कर दिया है और देश की एकता के प्रति पूरी प्रतिबद्धता जताई है.

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत से जुड़े 12 संगठनों ने संविधान पर भरोसा जताते हुए अलगाववाद से नाता तोड़ लिया है.शाह ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘मोदी सरकार के तहत जम्मू-कश्मीर में एकता की भावना व्याप्त है.

 हुर्रियत से जुड़े एक अन्य संगठन ‘जम्मू-कश्मीर मास मूवमेंट’ ने अलगाववाद को खारिज कर दिया है और भारत की एकता के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता की घोषणा की है.मैं उनके इस कदम का हार्दिक स्वागत करता हूं.अब तक हुर्रियत से जुड़े 12 संगठनों ने भारत के संविधान पर भरोसा जताते हुए अलगाववाद से नाता तोड़ लिया है.यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के दृष्टिकोण ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की जीत है.’

‘जम्मू कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी’, ‘जम्मू-कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग’ और ‘कश्मीर फ्रीडम फ्रंट’ ने आठ अप्रैल को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से खुद को अलग कर लिया था.

हुर्रियत से अलग होने की घोषणा करने वाले अन्य समूहों में शाहिद सलीम के नेतृत्व वाला ‘जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट’, एडवोकेट शफी रेशी के नेतृत्व वाला ‘जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट’ और मोहम्मद शरीफ सरताज के नेतृत्व वाला ‘जम्मू-कश्मीर फ्रीडम मूवमेंट’ शामिल हैं.

जब समूहों ने 25 मार्च को घोषणा की थी, तब शाह ने कहा था कि नरेन्द्र मोदी सरकार की एकीकरण नीतियों ने जम्मू और कश्मीर से अलगाववाद को ‘खत्म’ कर दिया है.हुर्रियत के दो अन्य घटक ‘जम्मू-कश्मीर तहरीकी इस्तेकलाल’ और ‘जम्मू-कश्मीर तहरीक-ए-इस्तिकामत’ ने भी गठबंधन से खुद को अलग करने की घोषणा की थी.

‘जम्मू-कश्मीर तहरीकी इस्तेकलाल’ का नेतृत्व गुलाम नबी सोफी करते हैं जबकि ‘जम्मू-कश्मीर तहरीक-ए-इस्तिकामत’ का नेतृत्व गुलाम नबी वार करते हैं.