नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिब्बती आध्यात्मिक गुरु 14वें दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने दलाई लामा को "प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन का स्थायी प्रतीक" बताया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा:“मैं 1.4 अरब भारतीयों के साथ परम पावन दलाई लामा जी को उनके 90वें जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। वे प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन के अमिट प्रतीक हैं। उनका संदेश सभी धर्मों में सम्मान और प्रेरणा का स्रोत रहा है। हम उनकी उत्तम सेहत और दीर्घायु की प्रार्थना करते हैं।”
धर्मशाला और शिमला में विशेष आयोजन
दलाई लामा के जन्मदिन के अवसर पर रविवार सुबह हिमाचल प्रदेश के पंथाघाटी स्थित डोरजिडक मठ में तिब्बती निर्वासित भिक्षुओं ने विशेष प्रार्थनाएं कीं। इससे एक दिन पहले, 5 जुलाई को धर्मशाला में एक विशेष समारोह का आयोजन हुआ जिसमें भाजपा नेता विजय जोली और जदयू नेता राजीव रंजन (ललन) सिंह सहित कई प्रमुख भारतीय हस्तियों ने भाग लिया और दलाई लामा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
दलाई लामा का जीवन परिचय
14वें दलाई लामा, जिन्हें तिब्बती लोग ग्यालवा रिंपोछे के नाम से जानते हैं, तिब्बत के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु और धार्मिक प्रमुख हैं। उनका जन्म 6 जुलाई 1935 को पूर्वोत्तर तिब्बत के ताकस्तेर गांव में हुआ था। दो वर्ष की आयु में ही बालक ल्हामो धोन्डुप को 13वें दलाई लामा का पुनर्जन्म माना गया। अक्टूबर 1939 में उन्हें ल्हासा लाया गया और 22 फरवरी 1940 को तिब्बत के प्रमुख पद पर विधिवत स्थापित किया गया। बाद में उनका नाम तेनजिन ग्यात्सो रखा गया और छह साल की उम्र में उन्होंने औपचारिक धार्मिक शिक्षा शुरू की।
"दलाई लामा" शब्द का अर्थ होता है – ‘ज्ञान का महासागर’, और बौद्ध परंपरा के अनुसार दलाई लामा करुणा के बोधिसत्व के अवतार माने जाते हैं, जो स्वयं की मुक्ति स्थगित कर संसार की सेवा के लिए पुनर्जन्म लेते हैं।
1950 में चीन के तिब्बत पर हमले के बाद, दलाई लामा ने पूर्ण राजनीतिक जिम्मेदारी संभाली। 1959 में तिब्बती विद्रोह के दमन के बाद उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी। उनके साथ 80,000 से अधिक तिब्बती शरणार्थी भारत आए। तब से वे पिछले 6 दशकों से विश्व में शांति, करुणा और मैत्री के प्रसार के लिए कार्य कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की इस शुभकामना के साथ, पूरा भारत दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन पर नमन कर रहा है — जो न केवल तिब्बती अस्मिता के रक्षक हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर शांति और करुणा के प्रेरक स्वरूप भी हैं।