आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को कहा कि दलाई लामा के सभी अनुयायी चाहते हैं कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता को स्वयं अपना उत्तराधिकारी चुनना चाहिए.
रीजीजू ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह भारत सरकार की ओर से प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं और न ही वह इस संबंध में चीन द्वारा दिये गए बयान पर कोई राय व्यक्त कर रहे हैं। चीन ने दलाई लामा की उत्तराधिकार संबंधी योजना को खारिज कर दिया है.
रीजीजू ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘दलाई लामा मुद्दे पर किसी भ्रम की कोई जरूरत नहीं है. दुनिया भर में बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले और दलाई लामा को मानने वाले सभी लोग चाहते हैं कि (अपने उत्तराधिकार पर) फैसला वही करें. मुझे या सरकार को कुछ कहने की कोई जरूरत नहीं है. अगला दलाई लामा कौन होगा, इसका फैसला वही करेंगे.’’
केंद्रीय मंत्री ने इस मुद्दे पर चीन के बयान के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा, ‘‘मैं चीन के बयान पर प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता. मैं एक श्रद्धालु के तौर पर बोल रहा हूं, मुझे दलाई लामा के प्रति आस्था है, दलाई लामा को मानने वाले लोग चाहते हैं कि वह अपने उत्तराधिकारी का निर्णय करें.’’ तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने अपने 90वें जन्मदिन से पहले बुधवार को कहा था कि दलाई लामा संस्था जारी रहेगी और केवल ‘गादेन फोडरंग ट्रस्ट’ को ही उनके उत्तराधिकारी को मान्यता देने का अधिकार होगा और कोई अन्य इस प्रक्रिया में ‘हस्तक्षेप’ नहीं कर सकता.
चौदहवें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो के बयान ने उन अटकलों पर विराम लगा दिया कि उनके निधन के बाद उनका कोई उत्तराधिकारी होगा या नहीं। दलाई लामा के कार्यालय द्वारा 2015 में गैर-लाभकारी संगठन ‘गादेन फोडरंग ट्रस्ट’ की स्थापना की गई थी. चीन ने नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा के उत्तराधिकार योजना को खारिज कर दिया तथा रेखांकित किया कि किसी भी भावी उत्तराधिकारी को उसकी स्वीकृति मिलनी चाहिए. इस प्रकार, तिब्बती बौद्ध धर्म और चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के बीच दशकों पुराने संघर्ष में एक नया अध्याय जुड़ गया.