एआई से कई पुरानी नौकरियां जाएंगी, पर नया रोजगार भी पैदा होगा : डेलॉयट अधिकारी

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 15-07-2025
AI will eliminate many old jobs, but will also create new jobs: Deloitte official
AI will eliminate many old jobs, but will also create new jobs: Deloitte official

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

वैश्विक पेशेवर सेवाप्रदाता डेलॉयट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि कृत्रिम मेधा (एआई) उद्योगों और रोजमर्रा की जिंदगी को नया रूप देने वाली एक बदलावकारी प्रौद्योगिकी ताकत है, जो खत्म होने वाली नौकरियों से कहीं अधिक नए अवसरों को जन्म देगी.

डेलॉयट के दक्षिण एशिया क्षेत्र के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रोमल शेट्टी ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि अधिक उन्नत चरणों में एआई एक बेहद मददगार और जरूरी साधन के तौर पर काम कर सकता है और यह मानवीय प्रतिभा की जगह लेने के बजाय उसकी मदद करता है.
 
उनका यह बयान एमआईटी के मीडिया लैब के हाल में आए एक शोध नतीजों की पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है. इस अध्ययन से पता चला कि एआई उपकरण दक्षता में सुधार कर सकते हैं, लेकिन जेनरेटिव एआई पर अत्यधिक निर्भर लोगों की याद्दाश्त समय के साथ कम होने लगी है.
 
उन्होंने नौकरियों पर एआई के प्रभाव के बारे में पूछे गए एक सवाल पर कहा कि एआई के आने से कुछ तरह की नौकरियां भले ही गायब हो जाएं लेकिन इतिहास बताता है कि नई तरह की भूमिकाएं और व्यावसायिक मॉडल उभरकर सामने आएंगे.
 
शेट्टी ने एक हालिया अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि हर एक नौकरी के नुकसान पर लगभग दो नई नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि यह सिलसिला पिछली प्रौद्योगिकी क्रांतियों के रुझानों की भी पुष्टि करता है.
 
शेट्टी ने कहा, ‘‘एआई शायद हमारे जीवनकाल में घटने वाली सबसे विघटनकारी चीज है. कम-से-कम इस दशक की यह सबसे बदलावकारी चीज है। साथ ही यह कई नई चीज़ें भी पैदा कर सकता है.’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘अतीत की तुलना में नई तरह की नौकरियां पैदा होंगी। पुरानी विशिष्ट नौकरियां शायद खत्म हो जाएंगी, लेकिन नई नौकरियां पैदा होंगी.’’
 
इसके साथ ही शेट्टी ने एआई में नैतिकता, सिद्धांतों और शासन को शामिल करने के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों पर सावधानीपूर्वक ध्यान देने की जरूरत है.
 
उन्होंने शिक्षा में एआई को शामिल किए जाने पर कुछ सीमाएं निर्धारित करने की जरूरत देते हुए कहा कि शुरुआती स्कूली वर्षों में इस पर अत्यधिक निर्भरता होने से बच्चों की आलोचनात्मक सोच प्रभावित हो सकती है.