After 18 years, borer pest infests Madhya Pradesh, threatening felling of 5,000 trees
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले में 18 से 19 वर्ष के बाद चार वन परिक्षेत्रों में साल प्रजाति के तकरीबन 5,000 ऐसे पेड़ों पर कटाई का खतरा मंडरा रहा है, जो बोरर कीट के प्रकोप के कारण खोखले हो गए हैं। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
साल के पेड़ मूल रूप से भारत, बांग्लादेश, नेपाल और तिब्बत के हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान (टीएफआरआई) की कार्यवाहक निदेशक डॉ. नीलू सिंह ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ''हमारी टीम ने हाल ही में डिंडोरी का दौरा किया था। रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। मैं इसे पढ़ूंगी और भेजने से पहले कल इसे अंतिम रूप दूंगी।"
उन्होंने कहा, "यह निश्चित रूप से बोरर का प्रकोप है। हमारे पास इस विषय में शोध का अनुभव है और हम उस पर काम करते हैं। इसका लक्षण है - जैसे पेड़ों का मरना। कीटों का यह प्रकोप समय-समय पर होते रहते हैं। मप्र में इस तरह का हमला 18-19 साल पहले हुआ था। यह एक चक्र है, और इसकी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इन्हें काटना ही एकमात्र समाधान है।"
वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 'कूप कटाई' के तहत जिले के गाड़ासरई उप वन मंडल के पूर्व करंजिया, दक्षिण करंजिया, बजाई और दक्षिण समनापुर वन परिक्षेत्र में बेहद ही उपयोगी साल के पेड़ों को चिह्नित किया गया है और अब इनकी कटाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। ये वन परिक्षेत्र नर्मदा नदी के उद्गम स्थल और पवित्र नगरी अमरकंटक के आसपास हैं।
उन्होंने बताया कि मृत, सूखे व गंभीर रूप से रोगग्रस्त और क्षतिग्रस्त पेड़ों को चिह्नित किए जाने और फिर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद कटाई की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
डिंडोरी के उपवनमंडलाधिकारी (एसडीओ) सुरेंद्र सिंह जाटव ने ‘पीटीआई वीडियो’ से बातचीत में कहा, "यह कोई नयी बात नहीं है। लेकिन इस बार प्रकोप कुछ ज्यादा ही प्रतीत हो रहा है।"