नवाब मलिक की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका के लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 13-04-2022
नवाब मलिक
नवाब मलिक

 

नई दिल्ली.  सुप्रीम कोर्ट बुधवार को महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और राकांपा के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक की एक याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए सहमत हो गया. इसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्णय को चुनौती दी गई है, जिसने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में उनकी अंतरिम रिहाई को अस्वीकार कर दिया था. मलिक ने दावा किया है कि उनकी गिरफ्तारी पूरी तरह से अवैध है.


वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ से याचिका पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया. सिब्बल ने कहा, "यह नवाब मलिक का मामला है जहां ईडी कार्यवाही कर रहा है.. अधिनियम 2005 में आया था और लेनदेन 2000 से पहले का है."

 

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "हां, हम सूचीबद्ध करेंगे."

 

15 मार्च को, बॉम्बे हाई कोर्ट ने मलिक के अंतरिम आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में तत्काल रिहाई की मांग की गई थी. मलिक को 23 फरवरी को आतंकवादी दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर गिरफ्तार किया गया था.

 

उच्च न्यायालय ने माना कि मलिक को ईडी ने गिरफ्तार किया और बाद में उचित प्रक्रिया के बाद हिरासत में भेज दिया गया और उनकी रिहाई के लिए कोई अंतरिम आदेश पारित करने का कोई कारण नहीं था.

 

मलिक को राहत देने से इनकार करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा था कि सिर्फ इसलिए कि विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत का उन्हें हिरासत में भेजने का आदेश उनके पक्ष में नहीं है, यह इसे अवैध या गलत नहीं बनाता है.

 

मलिक ने दावा किया है कि उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें अंतरिम रिहाई देने से इनकार करना अर्नब गोस्वामी बनाम महाराष्ट्र सरकार के मामले में तय स्थिति का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि उनकी याचिका कानून के अनुरूप थी और उच्च न्यायालय बिना कारण बताए पीएमएलए की धारा 3 के संबंध में प्रथम ²ष्टया निष्कर्ष नहीं दे सकता.

 

ईडी ने आरोप लगाया है कि कुर्ला में मुनीरा प्लंबर की प्रमुख संपत्ति, मौजूदा बाजार मूल्य के अनुसार 300 करोड़ रुपये, मलिक द्वारा सॉलिडस इनवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से हड़प ली गई थी. एजेंसी ने दावा किया है कि दाऊद की बहन हसीना पारकर, उसके अंगरक्षक सलीम पटेल और 1993 बम धमाकों के दोषी सरदार शाह वली खान की मिलीभगत से ऐसा किया गया.

 

शीर्ष अदालत में अपनी याचिका में, मलिक ने दावा किया कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी और उनके मौलिक अधिकारों के साथ-साथ वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन था और वह बंदी प्रत्यक्षीकरण के रिट के हकदार थे.