आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि बच्चों और किशोरों में दूसरी बार कोविड-19 संक्रमण होने पर लंबे कोविड (Long Covid) का खतरा दोगुना हो जाता है. यह निष्कर्ष उस आम धारणा के विपरीत है जिसमें कहा जाता रहा है कि बच्चों में कोविड हल्का होता है और दोबारा संक्रमण से गंभीर असर नहीं पड़ता.
अध्ययन के अनुसार, दूसरी बार कोविड होने पर बच्चों में मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों में सूजन) का खतरा तीन गुना तक बढ़ जाता है. यह स्थिति दिल को कमजोर कर सकती है और जानलेवा भी साबित हो सकती है। इसके अलावा रक्त के थक्के बनने का खतरा भी दोगुना पाया गया। साथ ही, गुर्दों को नुकसान, अनियमित दिल की धड़कन, लगातार सिरदर्द, पेट दर्द और गंभीर थकान जैसी समस्याएं भी दूसरी बार संक्रमण के बाद अधिक देखी गईं.
शोध के सह-लेखक और एएन एंड रॉबर्ट एच. ल्यूरी चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल, शिकागो के बाल संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ. रवि झावेरी ने कहा, “यह परिणाम टीकाकरण की अहमियत को साबित करते हैं। जितने ज्यादा टीके लगेंगे, उतने कम संक्रमण होंगे और लंबे कोविड का खतरा भी घटेगा.
यह अध्ययन अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) द्वारा फंडेड ‘रिकवर इनिशिएटिव’ के तहत किया गया। इसमें 1 जनवरी 2022 से 13 अक्टूबर 2023 तक ओमिक्रॉन वेरिएंट के दौरान 4.65 लाख से अधिक बच्चों और किशोरों के इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड्स का विश्लेषण किया गया। यह अब तक का सबसे बड़ा और पहला अध्ययन है जिसने दोबारा संक्रमण के बाद बच्चों में लंबे कोविड के खतरे को व्यवस्थित ढंग से दर्ज किया.
वरिष्ठ शोधकर्ता योंग चेन, पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी ने कहा कि इतने बड़े स्तर पर डेटा इकट्ठा करना और उसका विश्लेषण करना भारी ढांचे और सहयोग के बिना संभव नहीं था। शोधकर्ता अब लंबे समय तक बच्चों पर कोविड के प्रभावों को ट्रैक करेंगे और यह भी जांचेंगे कि नए वेरिएंट इस खतरे के पैटर्न को बदलते हैं या नहीं.