आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
न्यू साउथ वेल्स (ऑस्ट्रेलिया), 30 अगस्त (एएनआई)। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स (यूएनएसडब्ल्यू) के शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया है कि शरीर की कोशिकाएँ किस तरह वसा को प्रबंधित और संग्रहीत करती हैं. इस शोध में एक महत्वपूर्ण प्रोटीन ‘सीएचपी1’ (CHP1) की पहचान की गई है, जो इस प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाता है.
वसा या लिपिड कोशिकाओं के भीतर छोटे-छोटे भंडारों, जिन्हें लिपिड ड्रॉपलेट्स कहा जाता है में संग्रहित होता है. ये ड्रॉपलेट्स ऊर्जा के भंडारण और अन्य सेलुलर प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक हैं.
शोध में पाया गया कि जब कोशिकाओं से सीएचपी1 को हटा दिया गया तो लिपिड ड्रॉपलेट्स का आकार काफी कम हो गया। इससे संकेत मिलता है कि सीएचपी1 सेल के अंदर वसा चयापचय (मेटाबॉलिज़्म) का मास्टर रेगुलेटर है.
शोध के प्रमुख लेखक और यूएनएसडब्ल्यू के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी ऐंड बायोमॉलिक्यूलर साइंस के गुआंग यांग ने कहा, “हमारे निष्कर्ष यह स्पष्ट तस्वीर देते हैं कि कोशिकाएँ किस जटिल मशीनरी के जरिए वसा संग्रहित करती हैं. इस प्रक्रिया को समझना मोटापा और डायबिटीज जैसी मेटाबॉलिक बीमारियों से निपटने के नए उपाय विकसित करने की दिशा में एक अहम कदम है.
अध्ययन से यह भी पता चला कि सीएचपी1 कोशिकाओं में फैट बनाने वाले मुख्य एंजाइम्स — जिन्हें माइक्रोसोमल जीपीएटी (GPATs) कहा जाता है को स्थिर और सक्रिय करने के साथ-साथ उन्हें सही स्थान, यानी लिपिड ड्रॉपलेट्स की सतह पर भेजने का काम करता है, जहाँ उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है.